Climate Change: जलवायु परिवर्तन के कारण नई पीढ़ी के सामने आएंगी ये बड़ी चुनौतियां, पढ़िये सुपरबग से जुड़ी ये खास रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

अगली बार जब आपको एंटीबायोटिक्स लेने की आवश्यकता होगी, तो हो सकता है कि वे काम न करें। ऐसे में आपको एक अलग एंटीबायोटिक लेने की सलाह दी जाएगी, वो भी असर नहीं करेगी। शायद कुछ भी काम न आए।

जलवायु परिवर्तन के कई खतरे आ रहे सामने
जलवायु परिवर्तन के कई खतरे आ रहे सामने


कैनबरा: अगली बार जब आपको एंटीबायोटिक्स लेने की आवश्यकता होगी, तो हो सकता है कि वे काम न करें। ऐसे में आपको एक अलग एंटीबायोटिक लेने की सलाह दी जाएगी, वो भी असर नहीं करेगी। शायद कुछ भी काम न आए।

ऐसा तब होता है जब बैक्टीरिया उन्हें मारने के लिए डिज़ाइन की गई दवाओं के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लेते हैं, आधुनिक चिकित्सा को जोखिम में डाल देते हैं, और रोज़मर्रा के संक्रमणों को घातक बना देते हैं।

जलवायु परिवर्तन इन ‘‘सुपरबग्स’’ के उद्भव और प्रसार को तेज कर रहा है, जो गर्म, गीली स्थितियों में पनपते हैं।

आज जारी की गई हमारी नई रिपोर्ट इन चुनौतियों के आधुनिक समाधानों का आह्वान करती है। इनमें एकीकृत निगरानी और सेंसिंग सिस्टम, पॉइंट-ऑफ-केयर डायग्नोस्टिक्स, नए टीके, और बेहतर खेतों, अस्पतालों और अन्य अधिक जोखिम वाले स्थानों के ‘‘डिजाइन के माध्यम से रोकथाम’’ शामिल हैं।

अति प्रयोग और दुरुपयोग

रोगाणुरोधी दवाएं हैं जिनका उपयोग मनुष्यों, जानवरों और पौधों में रोगाणुओं के कारण होने वाले संक्रमण को रोकने और इलाज के लिए किया जाता है। चार मुख्य प्रकार हैं: -एंटीबायोटिक्स स्टैफिलोकोकस ऑरियस (स्टैफ या गोल्डन स्टैफ) और ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस (जो स्ट्रेप थ्रोट का कारण बनता है) जैसे बैक्टीरिया के कारण होने वाले संक्रमण का इलाज करते हैं

- एंटीवायरल इन्फ्लुएंजा और सार्स-सीओवी-2 जैसे वायरस के कारण होने वाले संक्रमण का इलाज करते हैं ( जो कोविड का कारण बनता है)

- एंटीफंगल टिनिया और थ्रश जैसे फंगस के कारण होने वाले संक्रमण का इलाज करते हैं

-एंटीपैरासिटिक्स गियार्डिया और टोक्सोप्लाज्मा जैसे परजीवियों के कारण होने वाले संक्रमण का इलाज करते हैं।

मानव और पशु चिकित्सा दोनों में रोगाणुरोधी का अत्यधिक उपयोग और दुरुपयोग रोग पैदा करने वाले रोगाणुओं के दवा प्रतिरोधी उपभेदों के विकास को प्रेरित कर रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रोगाणुरोधी प्रतिरोध को शीर्ष दस वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से एक घोषित किया है।

वर्तमान में अनुमान है कि यह हर साल दुनिया भर में सीधे तौर पर 12 लाख 50 हजार से अधिक मौतों का कारण बनता है, जिसका नुकसान अरबों डॉलर तक होता है। हर साल समस्या विकराल होती जा रही है।

समग्र उपचार में रोगाणुरोधी प्रतिरोध प्रकट होने से पहले हमें अभी कार्य करना चाहिए।

सुपरबग के लिए एक जलवायु

यह भी पढ़ें | मानव कल्याण के लिए सुरक्षित जलवायु की कमी बन रही बड़ी चुनौती, सभ्य जीवन स्तर के लिए करने होंगे ये काम

यह पाया गया है कि उच्च तापमान मनुष्यों और जानवरों दोनों में जीवाणुओं में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के विकास, संक्रमण और प्रसार को बढ़ावा देता है।

चरम मौसम की घटनाओं के कारण बाढ़ आने पर साफ सफाई का बुनियादी ढांचा चरमरा जाता है, पहले से ही भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में भीड़ बढ़ जाती है, और सीवेज, जो एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीनों के लिए एक सिद्ध भंडार है, के प्रवाह और अतिप्रवाह के माध्यम से एंटीबायोटिक प्रतिरोध का प्रसार होता है।

वर्षा में वृद्धि के परिणामस्वरूप खेतों और उद्योगों से अपवाह में भी वृद्धि होती है और इसका नतीजा यह होता है कि जल में प्रदूषकों का स्तर बढ़ जाता है।

यह पाया गया है कि पर्यावरण प्रदूषक एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीन के उत्पादन को बढ़ावा देने और जीवाणु उत्परिवर्तन को बढ़ाने में मददगार होते हैं।

अब होगा यह कि पोषक तत्वों से भरपूर कृषि अपवाह जल प्रणालियों में शैवाल के पनपने की संभावना को बढ़ाएगा, और उच्च जीवाणु सांद्रता एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीन के हस्तांतरण के अवसरों को बढ़ावा देगी।

सूखे की स्थिति में भी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, क्योंकि पानी की कमी से स्वच्छता कम हो जाती है और इसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोग एक ही जल स्रोत को साझा करते हैं या कृषि उद्देश्यों के लिए दूषित पानी का उपयोग करते हैं।

भीड़भाड़ और पानी साझा करने से जलजनित रोगों के महामारी बनने की संभावना बढ़ सकती है, क्योंकि दस्त और उल्टी जैसे सामान्य लक्षण स्वच्छता में और कमी लाते हैं और पानी के संदूषण को बढ़ाते हैं।

कुपोषण, भीड़भाड़ और अपर्याप्त स्वच्छता सभी बच्चों में एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी आंतों के संक्रमण के जोखिम को बढ़ाते हैं। इससे निश्चित रूप से हैजा का प्रकोप और बढ़ेगा; चिंता का विषय तब होगा अगर एंटीबायोटिक प्रतिरोध बढ़ता है क्योंकि यह वर्तमान दवाओं को प्रभावी होने से रोकेगा।

जैसे-जैसे वैश्विक आबादी बढ़ती जा रही है, मनुष्यों और जानवरों के लिए साझा पर्यावरण तेजी से आपस में गड्डमड्ड हो रहा है। इससे पर्यावरण, मनुष्यों और जानवरों के बीच रोगज़नक़ संचरण और प्रतिरोध की संभावना बढ़ जाती है। यदि जलवायु परिवर्तन को संबोधित नहीं किया जाता है, तो इसका लोगों के स्वास्थ्य और भलाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, विशेष रूप से दुनिया भर के निम्न और मध्यम आय वाले देशों में।

नई दवाओं का विकास ही एकमात्र समाधान नहीं है

बेअसर होती दवाओं को बदलने के लिए नई दवाएं बनाना उतना आसान नहीं है।

नए एंटीबायोटिक्स की खोज एक धीमी और महंगी प्रक्रिया है। उनकी उच्च विफलता दर है, और अधिकांश मानव नैदानिक ​​परीक्षण चरण में प्रगति नहीं करते हैं।

रोगाणुरोधी प्रतिरोध की संभावना को कम करने के लिए नई रोगाणुरोधी दवाओं को बहुत सोच-समझकर दिया जाता है। इसके परिणामस्वरूप कम मांग, कम बिक्री और लाखों डॉलर के निवेश पर कोई रिटर्न नहीं मिलता है।

जबकि यह महत्वपूर्ण है, हमें एक अधिक समग्र रोगाणुरोधी प्रतिरोध दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिसमें वर्तमान में हमारे पास मौजूद दवाओं की प्रभावकारिता और उपलब्धता की रक्षा करना और अभिनव समाधान खोजना शामिल है जिसे हम जल्द से जल्द लागू करना शुरू कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें | New Study: जीने के लिए जरूरी ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन के रिश्तों पर नये शोध में बड़ा खुलासा, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

हमारा मिशन: सुपरबग से लड़ना

जबकि ऑस्ट्रेलिया एंटीबायोटिक उपयोग को कम करने और विकल्पों की खोज करने के लिए निर्णायक कार्रवाई कर रहा है, देश की इस दिशा में प्रगति की दर अन्य समान विकसित देशों के सापेक्ष उच्च बनी हुई है।

मामले की अत्यावश्यकता को स्वीकार करते हुए, सीएसआईआरओ, कृषि, मत्स्य पालन और वानिकी विभाग, और स्वास्थ्य और वृद्ध देखभाल विभाग ने न्यूनतम रोगाणुरोधी प्रतिरोध मिशन को सह-विकसित किया।

हमारे मिशन का उद्देश्य नई और उभरती हुई प्रौद्योगिकी का उपयोग करके रोगाणुरोधी प्रतिरोध को रोकना, प्रबंधित करना और प्रतिक्रिया देना है।

रोगाणुरोधी प्रतिरोध से निपटने के लिए इस्तेमाल की जा सकने वाली तकनीकों का पता लगाने के लिए, सीएसआईआरओ ने ऑस्ट्रेलियन एकेडमी ऑफ़ टेक्नोलॉजिकल साइंसेज एंड इंजीनियरिंग के साथ काम किया। परिणामी रिपोर्ट इस बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है कि हम किस तरह सहयोग को बढ़ावा देते हैं, नीति को मान्य करते हैं और रोगाणुरोधी प्रतिरोध को कम करने के लिए संभावित कार्रवाइयों और अभिनव समाधानों का पता लगाते हैं।

परामर्श में सरकार, शिक्षा और उद्योग में फैले 100 से अधिक हितधारक शामिल थे। प्रमुख तकनीकों की पहचान की गई जिनका उपयोग रोगाणुरोधी प्रतिरोध के प्रसार को कम करने के लिए किया जा सकता है।

रिपोर्ट से दो प्रमुख सिफारिशें सामने आईं: मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य और पर्यावरणीय स्वास्थ्य क्षेत्रों में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों को संरेखित और समन्वयित करने के लिए रोगाणुरोधी प्रतिरोध प्रबंधन के लिए केंद्रीकृत समन्वय और नेतृत्व स्थापित करना।

निवारक कार्रवाई के बिना, यह अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक रोगाणुरोधी प्रतिरोध से हर साल एक करोड़ लोगों की मृत्यु हो जाएगी और वैश्विक अर्थव्यवस्था को 100 खरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान होगा।

हमारे पास अब कार्य करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है, उस समय में वापस जाने से बचने के लिए जब साधारण संक्रमण घातक थे और सर्जरी करना बहुत जोखिम भरा था।

रोकथाम की रणनीतियाँ जैसे कि टीकाकरण और संसाधनों को कब और कहाँ इस्तेमाल करना है, यह जानना उपयोगी होगा।

हमें उम्मीद है कि सुपरबग के अति सक्रिय होने से पहले हमारी रिपोर्ट सरकारों को एक समन्वित और एकजुट तरीके से रोगाणुरोधी प्रतिरोध से निपटने के लिए निवेश करने के लिए प्रेरित करेगी।

(ब्रैनवेन मॉर्गन, अनुसंधान निदेशक और न्यूनतम एएमआर मिशन लीड, सीएसआईआरओ)










संबंधित समाचार