राजद्रोह के आरोप में मुझे 10 साल जेल में रखने की योजना बना रहा पाकिस्तान का सैन्य प्रतिष्ठान: इमरान

डीएन ब्यूरो

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को दावा किया कि देश के शक्तिशाली सैन्य प्रतिष्ठान ने उन्हें राजद्रोह के आरोप में अगले 10 साल तक जेल में रखने की योजना बनाई है। खान ने अपने खून के आखिरी कतरे तक ‘‘ अपराधियों के गुट ’’ के खिलाफ लड़ाई लड़ने का संकल्प जताया।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान


लाहौर (पाकिस्तान): पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को दावा किया कि देश के शक्तिशाली सैन्य प्रतिष्ठान ने उन्हें राजद्रोह के आरोप में अगले 10 साल तक जेल में रखने की योजना बनाई है। खान ने अपने खून के आखिरी कतरे तक ‘‘ अपराधियों के गुट ’’ के खिलाफ लड़ाई लड़ने का संकल्प जताया।

पिछले सप्ताह भ्रष्टाचार के एक मामले में खान की गिरफ्तारी के बाद भड़की हिंसा में यहां ‘कोर कमांडर हाउस’ को जलाने और हिंसा की अन्य घटनाओं को लेकर अपने खिलाफ दर्ज मामलों के सिलसिले में खान के लाहौर उच्च न्यायालय में पेश होने की संभावना है।

इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) ने 70 वर्षीय खान को जमानत दी और अधिकारियों को नौ मई के बाद दर्ज सभी मामलों में उन्हें गिरफ्तार किए जाने से रोक दिया तथा आगे की राहत के लिए उन्हें 15 मई को लाहौर उच्च न्यायालय का रुख करने को कहा।

सोमवार तड़के सिलसिलेवार ट्वीट में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख ने कहा, ‘‘तो अब लंदन की पूरी योजना सामने आ गई है। जब मैं जेल में था, तब हुई हिंसा के बहाने उन्होंने न्यायाधीश, ज्यूरी और जल्लाद की भूमिका अपना ली। अब बुशरा बेगम (खान की पत्नी) को जेल में डाल कर मुझे अपमानित करने और राजद्रोह कानून का इस्तेमाल करके अगले 10 साल तक मुझे जेल में रखने की योजना है।’’

यह ट्वीट खान के लाहौर स्थित आवास पर पीटीआई नेताओं की बैठक के बाद आया है।

खान 100 से अधिक मामलों में जमानत पर हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लोग कोई प्रतिक्रिया नहीं करें, यह सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने दो काम किए हैं - पहला जानबूझकर न सिर्फ पीटीआई कार्यकर्ताओं बल्कि आम नागरिकों को भी आतंकित किया गया। दूसरा, मीडिया को पूरी तरह से नियंत्रित किया गया और दबाया गया है।’’

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खान ने कहा, ‘‘उन्होंने लोगों के मन में जानबूझकर डर पैदा करने का प्रयास किया ताकि कल को जब वे मुझे गिरफ्तार करने आएं तो लोग बाहर नहीं निकले। कल वे फिर से इंटरनेट सेवा निलंबित कर देंगे और सोशल मीडिया पर पाबंदी लगा देंगे (जो आंशिक रूप से खुला है)। जब हम बात कर रहे हैं, तब भी घरों को तोड़ा जा रहा है और शर्म की बात ये है कि पुलिस घरों की औरतों से बदसलूकी कर रही है।’’

उन्होंने कहा कि इन ‘‘अपराधियों’’ द्वारा जिस तरह से ‘चादर और चार दिवारी’ (पर्दादारी और चारदिवारी) की पवित्रता का उल्लंघन किया जा रहा है, वैसा कभी नहीं हुआ।

पाकिस्तान के लोगों को अपना संदेश देते हुए खान ने कहा, ‘‘पाकिस्तान के लोगों के लिए मेरा यही संदेश है कि मैं अपने खून की आखिरी बूंद तक हकीकी आजादी के लिए लड़ूंगा क्योंकि मेरे लिए इन अपराधियों का गुलाम होने से मौत बेहतर है।’’

खान शुक्रवार को जमानत मिलने के बावजूद फिर से गिरफ्तारी की आशंका से इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) परिसर में घंटों तक रहे थे, हालांकि शनिवार को वह अपने लाहौर स्थित घर लौट आए।

खान ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के बाहर जेयूआई-एफ के ‘‘तमाशे’’ का सिर्फ एक मकसद था - पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश को डराना ताकि वह संविधान के मुताबिक फैसला नहीं सुनाएं।

उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान पहले भी उच्चतम न्यायालय पर इस तरह का हमला देख चुका है जब 1997 में पीएमएलएन के गुंडों ने उस पर हमला किया था और सबसे सम्मानित प्रधान न्यायाधीश में से एक सज्जाद अली शाह को हटा दिया गया था।’’

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पिछले मंगलवार को उच्च न्यायालय परिसर में पाकिस्तान रेंजर्स द्वारा खान की गिरफ्तारी से पाकिस्तान में अशांति फैल गई जो शुक्रवार तक जारी रही। इस प्रदर्शन में कई लोगों की मौत हो गई और प्रदर्शनकारियों ने दर्जनों सैन्य और सरकारी प्रतिष्ठानों को नष्ट कर दिया गया।

देश के इतिहास में पहली बार प्रदर्शनकारियों ने रावलपिंडी में सेना मुख्यालय (जीएचक्यू) पर धावा बोला और लाहौर में ऐतिहासिक कोर कमांडर हाउस को भी आग लगा दी।

पुलिस ने हिंसक झड़प में मरने वालों की संख्या 10 बताई है जबकि खान की पार्टी का दावा है कि उसके 40 कार्यकर्ताओं ने सुरक्षा बलों की गोली लगने से अपनी जान गंवाई है।

पंजाब के पुलिस महानिरीक्षक डॉक्टर उस्मान अनवर ने रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि खान की गिरफ्तारी के बाद भड़की हिंसा में शामिल होने के आरोप में पंजाब प्रांत में 3,500 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें से अधिकांश के खिलाफ आतंकवाद रोधी अदालतों में मुकदमा चलाया जाएगा।

 










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