Odissa: मलकानगिरि से पहली आदिवासी महिला बनी पायलट, सालों का सपना हुआ पूरा
ओडिशा के माओवाद प्रभावित मलकानगिरि जिले की एक आदिवासी लड़की ने सालों पहले आकाश में उड़ने का सपना देखा और उसे पूरा करने के लिए इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में छोड़ दी और आखिरकार अपने सपनों को हासिल करके ही दम लिया।
मलकानगिरि/भुवनेश्वर: ओडिशा के माओवाद प्रभावित मलकानगिरि जिले की एक आदिवासी लड़की ने सालों पहले आकाश में उड़ने का सपना देखा और उसे पूरा करने के लिए इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में छोड़ दी और आखिरकार अपने सपनों को हासिल करके ही दम लिया। यह प्रेरणादायक कहानी है 23 वर्षीय अनुप्रिया की। पायलट बनने की चाह में अनुप्रिया ने सात साल पहले इंजीनिरिंग की पढ़ाई बीच में छोड़ दी और 2012 में उसने यहां उड्डयन अकादमी में दाखिला ले लिया। अपनी काबिलियत और लगन के बल पर जल्दी ही वह एक निजी विमानन कंपनी में को-पायलट के तौर पर सेवाएं देने वाली है।
ମାଲକାନଗିରି ଜିଲ୍ଲାର ଝିଅ ଅନୁପ୍ରିୟା ଲାକ୍ରାଙ୍କ ସଫଳତା ବିଷୟରେ ଜାଣି ମୁଁ ବହୁତ ଖୁସି। ନିଷ୍ଠାପର ଉଦ୍ୟମ ବଳରେ ସେ ହାସଲ କରିଥିବା ସଫଳତା ଅନେକଙ୍କ ପାଇଁ ଉଦାହରଣ। ଜଣେ ଦକ୍ଷ ପାଇଲଟ୍ ଭାବେ ଆଗାମୀ ଦିନରେ ସେ ଆହୁରି ସୁନାମ ଅର୍ଜନ କରନ୍ତୁ। ତାଙ୍କୁ ମୋର ଶୁଭେଚ୍ଛା ଓ ସାଧୁବାଦ।https://t.co/1IIbEwJxHf
— Naveen Patnaik (@Naveen_Odisha) September 8, 2019
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने अनुप्रिया को बधाई दी और कहा कि यह दूसरों के लिए एक उदाहरण पेश करेगी। पटनायक ने ट्वीट किया मैं अनुप्रिया लड़की की सफलता के बारे में जान कर प्रसन्न हूं। उसके द्वारा सतत प्रयासों और दृढ़ता से हासिल की गई सफलता कइयों के लिए उदाहरण हैं। एक काबिल पायलट के रूप में अनुप्रिया को और सफलता हासिल करने की शुभकामनाएं दी।
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अनुप्रिया के पिता मारिनियास लकड़ा ओडिशा पुलिस में हवलदार हैं और मां जामज यास्मिन लाकड़ा गृहणी हैं। उसने दसवीं की पढ़ाई कांन्वेंट स्कूल से तथा 12वीं की पढ़ाई सेमिलिदुगा के एक स्कूल से की। उसके पिता ने बताया पायलट बनने की चाह में उसने इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और पायलट प्रवेश परीक्षा की तैयारी भुवनेश्वर से की।
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उन्होंने बताया कि 2012 में अनुप्रिया ने भुवनेश्वर में पायलट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया। पायलट बनने का उसका सपना हकीकत में बदलने से हम बहुत खुश हैं। वह एक निजी विमानन कंपनी में को-पायलट के तौर पर सेवाएं देने वाली है। अनुप्रिया के गौरवान्वित पिता ने कहा मलकानगिरि जैसे पिछड़े जिले से ताल्लुक रखने वाले किसी व्यक्ति के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है। वहीं उनकी मां ने कहा मैं बहुत प्रसन्न हूं। यह मलकानगिरि के लोगों के लिए गर्व की बात है। उसकी सफलता दूसरी लड़कियों को प्रेरणा देगी। (भाषा)