पायलट का अपनी ही पार्टी की सरकार को चेतावनी, मांगें नहीं मानीं तो होगा राज्यव्यापी आंदोलन
राजस्थान की राजधानी जयपुर में जनसंघर्ष पदयात्रा के समापन के मौके पर एक रैली में कांग्रेस के 14 विधायकों के साथ असंतुष्ट नेता सचिन पायलट ने सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अगुवाई वाली सरकार को चेतावनी दी कि इस महीने के अंत तक अगर उनकी मांगे नहीं मानी गयी तो प्रदेश में राज्यव्यापी आंदोलन किया जायेगा।
जयपुर: राजस्थान की राजधानी जयपुर में जनसंघर्ष पदयात्रा के समापन के मौके पर एक रैली में कांग्रेस के 14 विधायकों के साथ असंतुष्ट नेता सचिन पायलट ने सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अगुवाई वाली सरकार को चेतावनी दी कि इस महीने के अंत तक अगर उनकी मांगे नहीं मानी गयी तो प्रदेश में राज्यव्यापी आंदोलन किया जायेगा।
पायलट ने पांच दिवसीय जनसंघर्ष पदयात्रा के समापन के मौके पर आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए मांग नहीं मानने पर अपनी ही पार्टी की सरकार को आंदोलन करने की चेतावनी दी ।
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी तीन मांगे हैं और यदि इस महीने के आखिर तक नहीं मानी गयी तो वह पूरे प्रदेश में आंदोलन करेंगे।
उन्होंने कहा कि उनकी मांगों में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) को बंद कर इसका पुनर्गठन करना, पेपर लीक से प्रभावित प्रत्येक नौजवान को उचित आर्थिक मुआवजा देना और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ लगे आरोपों की उच्च स्तरीय जांच कराना शामिल है।
आरपीएससी के अध्यक्ष और सदस्यों की चयन प्रणाली पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, 'यह आम धारणा है कि यहां 'जुगाड़' काम करता है और नियुक्तियां राजनीतिक होती हैं।”
पायलट ने कहा, ‘‘नौजवानों के हित में और भ्रष्टाचार के खिलाफ, इस महीने के आखिर तक अगर ये तीनों मांगें नहीं मानी गईं तो....मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि अभी मैंने गांधीवादी तरीके से (एक दिवसीय) अनशन किया, जनसंघर्ष यात्रा निकाली है। महीने के आखिर तक अगर कार्रवाई नहीं होती है तो मैं पूरे प्रदेश में आप लोगों के साथ आंदोलन करूंगा।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘मैं आप सब को आश्वस्त करना चाहता हूं और वादा करना चाहता हूं आप सबके सामने, मैं किसी पद पर रहूं या ना रहूं, मैं राजस्थान की जनता और नौजवानों की सेवा अपने आखिरी सांस करता रहूंगा। मैं डरने वाला नहीं हूं, मैं दबने वाला नहीं। मैं आपके लिए लड़ा हूं और लड़ता रहूंगा।’’
उन्होंने कहा कि उनका संघर्ष किसी नेता के खिलाफ नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के विरोध में है।
पायलट ने कहा कि जो भी (कांग्रेस नेता) गुटबाजी व पार्टी में अनुशासन की बात करते हैं, उन्हें 25 सितंबर (2022) की घटना के बारे में सोचना चाहिए।
उन्होंने कहा, '25 सितंबर को जो विश्वासघात किया गया सोनिया गांधी के साथ, 25 सितंबर को जो पार्टी को बेइज्जत करने काम किया गया, जिसने पार्टी के अनुशासन को तोड़ने का काम किया, उनलोगों को अपने गिरेबां में झांककर देखना पड़ेगा कि अनुशासन हमने तोड़ा या किसी और ने तोड़ा।'
गहलोत समर्थक विधायकों ने 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक में न आकर मंत्री शांति धारीवाल के घर समानांतर बैठक की। इन विधायकों ने बाद में, पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी संभावित कदम के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था।
विधायकों का कहना था कि अगर विधायक दल का नया नेता चुनना है तो वह उन 102 विधायकों में से हो जिन्होंने जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान गहलोत सरकार का समर्थन किया था।
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उल्लेखनीय है कि पायलट ने पांच दिन की अपनी इस पदयात्रा की शुरुआत बृहस्पतिवार को अजमेर से की।
इसे राजस्थान में इस चुनावी साल में, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। राज्य में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस यहां अपनी सरकार दोबारा बनने की उम्मीद कर रही है।
जनसभा में मंच पर पायलट समेत कांग्रेस के कुल 15 विधायक मौजूद थे। इसमें राज्य सरकार के सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा व वन मंत्री हेमाराम चौधरी, एससीएसटी आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ीलाल बैरवा, विधायक जीआर खटाना, वेदप्रकाश सोलंकी, सुरेश मोदी, वीरेंद्र चौधरी, राकेश पारीक, हरीश मीणा, गिर्राज मलिंगा, दीपेंद्र सिंह शेखावत, मुकेश भाकर, इंद्राज गुर्जर और रामनिवास गावड़िया भी शामिल हुए।