यूएपीए मामले में पीएफआई सदस्यों पर जांच की समय-सीमा बढ़ाने के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर

डीएन ब्यूरो

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के खिलाफ आतंकवाद रोधी यूएपीए कानून के तहत दर्ज मामले में जांच पूरी करने के लिए और समय दिये जाने के खिलाफ संगठन के गिरफ्तार सदस्यों ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

दिल्ली उच्च न्यायालय  (फाइल फोटो)
दिल्ली उच्च न्यायालय (फाइल फोटो)


नयी दिल्ली: राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के खिलाफ आतंकवाद रोधी यूएपीए कानून के तहत दर्ज मामले में जांच पूरी करने के लिए और समय दिये जाने के खिलाफ संगठन के गिरफ्तार सदस्यों ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया।

याचिकाकर्ताओं के वकील मोहम्मद यूसुफ और अन्य लोगों ने निचली अदालत के 19 दिसंबर के फैसले की निंदा की जिसमें जांच करने की समय-सीमा 60 दिन बढ़ा दी गयी है। उन्होंने कहा कि अभियोजक की रिपोर्ट का नोटिस उन्हें दिये बिना एजेंसी को अतिरिक्त समय दिया गया है। रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में जमा की गयी है।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने अगली सुनवाई 25 जनवरी को करना तय किया। उसने कहा कि उच्च न्यायालय विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक अन्य मामले में आरोपियों को अभियोजक की रिपोर्ट नहीं देने के संबंध में आपत्तियों को पहले ही खारिज कर चुकी है। रिपोर्ट में जांच की प्रगति का ब्योरा है।

एनआईए के वकील ने कहा कि उच्च न्यायालय के पहले के फैसले के अनुसार अभियोजक की रिपोर्ट यूएपीए के किसी मामले में किसी आरोपी को नहीं दी जा सकती और मौजूदा मामले में निचली अदालत ने आरोपियों का पक्ष सुना।

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याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि जांच एजेंसी ने तफ्तीश की समय-सीमा बढ़ाने के लिए कोई विशिष्ट कारण नहीं बताया और केवल इतना कहा कि मामले में ‘भारी-भरकम रिकॉर्ड’ हैं।

यह भी दलील दी गयी कि अभियोजक की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में जमा करना कानून के खिलाफ है।

यूएपीए के तहत यदि जांच 90 दिन की अवधि के भीतर पूरा करना संभव नहीं है तो निचली अदालत इसे 180 दिन तक बढ़ा सकती है।

पीएफआई पर 28 सितंबर, 2022 को लगाए गए राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध से पहले बड़े पैमाने पर छापेमारी के दौरान कई राज्यों में बड़ी संख्या में कथित पीएफआई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया या गिरफ्तार किया गया था।

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लगभग एक साथ मारे गये छापों में देश में कथित रूप से आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने के मामले में 11 राज्यों में पीएफआई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया या गिरफ्तार किया गया था।

सरकार ने यूएपीए के तहत पीएफआई और उसके कई सहयोगी संगठनों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था।










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