Union Budget: केंद्रीय बजट को लेकर क्या है भारतीय अंतरिक्ष उद्योग की मांग, जानिये ये बड़ी बातें

डीएन ब्यूरो

भारत के निजी अंतरिक्ष क्षेत्र ने आगामी केंद्रीय बजट में कर प्रोत्साहन और उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना लाने की मांग की है, ताकि स्थानीय विनिर्माण, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा मिल सके। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

सांकेतिक फोटो
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नई दिल्ली: भारत के निजी अंतरिक्ष क्षेत्र ने आगामी केंद्रीय बजट में कर प्रोत्साहन और उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना लाने की मांग की है, ताकि स्थानीय विनिर्माण, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा मिल सके।

अंतरिक्ष क्षेत्र के बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप ‘पिक्सेल’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अवैस अहमद ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘2023-24 के केंद्रीय बजट में हम अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी स्टार्टअप के लिए अंतरिक्ष-आधारित उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का अनुरोध करना चाहते हैं, ताकि स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने और देश के भीतर क्षमता निर्माण को प्रोत्साहित करने में मदद मिल सके।’’

पिक्सेल ने पिछले साल स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट के जरिए एक वाणिज्यिक उपग्रह ‘शकुंतला’ का प्रक्षेपण किया था और वह ऐसा करने वाली पहली भारतीय कंपनी बनी। इसके बाद उसने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पीएसएलवी रॉकेट के जरिए इसी प्रकार के एक अन्य उपग्रह ‘आनंद’ का प्रक्षेपण किया। उसकी पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों का जल्द ही एक समूह बनाने की योजना है।

‘ध्रुवस्पेस’ में रणनीति और विशेष परियोजनाओं के प्रमुख क्रांति चंद ने कहा, ‘‘केंद्रीय बजट 2023-24 में हम नया बुनियादी ढांचा स्थापित करने के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (वीजीएफ) के रूप में 100 करोड़ रुपये जारी करने का अनुरोध करते हैं।’’

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हैदराबाद स्थित स्टार्टअप ‘ध्रुवस्पेस’ ने भी पीएसएलवी रॉकेट के जरिए नवंबर में दो उपग्रह प्रक्षेपित किए थे और उसकी एक उपग्रह-निर्माण इकाई स्थापित करने की योजना है।

चंद ने इच्छा जताई कि सरकार उद्योग से नयी प्रौद्योगिकी की खरीद के वास्ते रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी (डीएसए) के लिए 1,000 करोड़ रुपये का समर्पित आवंटन करे।

उन्होंने बताया कि कई उपग्रह और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी परियोजनाओं के लिए रक्षा मंत्रालय ने आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) दे दी है।

भारतीय अंतरिक्ष संघ (आईएसपीए) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल ए के भट्ट (सेवानिवृत्त) ने बताया कि अंतरिक्ष उद्योग से कर नीतियों और अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश, अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहन और रोजगार को बढ़ावा देने संबंधी सुझाव मिले हैं।

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आईएसपीए ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए एक पीएलआई योजना देश में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देगी और इस क्षेत्र में शामिल संस्थाओं को प्रोत्साहन प्रदान करेगी।

आईएसपीए यह भी चाहता है कि सरकार अंतरिक्ष क्षेत्र की कंपनियों और संगठनों को ऋण, अनुदान और कर प्रोत्साहन के माध्यम से वित्तीय सहायता दे।

भट्ट ने कहा, ‘‘नयी अंतरिक्ष नीति विकास के अपने अंतिम चरण में है, इसलिए स्टार्टअप के लिए कर छूट का प्रावधान मौजूदा नीति के जारी या लागू होने तक बरकरार रखा जाना चाहिए।’’

आईएसपीए द्वारा पिछले साल जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2020 में 9.6 अरब डॉलर थी और 2025 तक इसके 12.8 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।










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