साल की पहली मन की बात में बोले पीएम मोदी, नारी शक्ति के लिये कुछ भी असंभव नहीं
रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 40वें कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देशवासियों को संबोधित कर रहे हैं। पीएम मोदी की यह इस साल की पहली मन की बात है। जानें, पीएम मोदी ने 'मन की बात' में आज क्या-क्या कहा..
नई दिल्ली: रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 40वें कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देशवासियों को संबोधित कर रहे हैं। पीएम मोदी ती यह इस साल-2018 की पहली मन की बात है। जानें, पीएम मोदी ने 'मन की बात' में आज क्या-क्या कहा।
1 फरवरी को अन्तरिक्ष में जाने वाली कल्पना चावला की पुण्य तिथि है, कोलंबिया अन्तरिक्षयान दुर्घटना में वो हमें छोड़ कर चली गयीं लेकिन दुनिया भर में लाखों युवाओं को प्रेरणा दे गयी। कल्पना चावला ने जिस ऊंचाई के प्राप्त किया, उससे साबित हो गया कि नारी शक्ति के लिये कुछ भी असंभव नहीं है। आज कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां सबसे पहले, हमारी नारी-शक्ति कुछ करके दिखा रही है, एक मील का पत्थर स्थापित कर रही है।
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पीएम मोदी ने कहा कि चाहे वैदिक काल की विदुषियां लोपामुद्रा, गार्गी, मैत्रेयी की विद्वता हो या अक्का महादेवी और मीराबाई का ज्ञान और भक्ति हो, चाहे अहिल्याबाई होलकर की शासन व्यवस्था हो या रानी लक्ष्मीबाई की वीरता, नारी शक्ति हमेशा हमें प्रेरित करती आयी है और देश का मान-सम्मान बढ़ाती आई है। देश की तीन बहादुर महिलाएँ भावना कंठ, मोहना सिंह और अवनी चतुर्वेदी फाइटर पाइलट बनी हैं और सुखोई-30 में प्रशिक्षण ले रही हैं।
मन की बात में उन्होंने कहा कि पटना के ऐतिहासिक गाँधी मैदान से आरंभ हुई मानव-श्रृंखला राज्य की सीमाओं तक अटूट-रूप से जुड़ती चली गई । समाज के सभी लोगों को सही मायने में विकास का लाभ मिले, इसके लिए ज़रुरी है कि हमारा समाज इन कुरीतियों से मुक्त हो। जनआंदोलनों के जरिये हम समाज की कुरीतियों को खत्म कर सकते हैं। पटना में मानव-श्रृंखला के अभियान के द्वारा लोगों को बाल-विवाह और दहेज़-प्रथा जैसी बुराइयों के खिलाफ़ जागरूक किया गया और पूरे राज्य ने बुराइयों से लड़ने का संकल्प लिया। बच्चे, बुजुर्ग, जोश और उत्साह से भरे युवा, माताएँ, बहनें हर कोई अपने आप को इस जंग में शामिल किये हुए थे।
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छत्तीसगढ़ की आदिवासी महिलाओं ने एक नई मिसाल पेश की है। यहाँ का दंतेवाड़ा इलाक़ा माओवाद-प्रभावित क्षेत्र है, जहाँ माओवादियों ने हिंसा,अत्याचार, बम,बन्दूक,पिस्तौल का भयानक वातावरण बनाया हुआ है। ऐसे ख़तरनाक इलाक़े में आदिवासी महिलाएँ ई-रिकशा चला कर आत्मनिर्भर बन रही हैं।