राष्ट्रपति ने इन राज्यों से जुड़े अहम विधेयकों को दी मंजूरी, पढ़ें पूरी रिपोर्ट
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पंजाब के उस विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसमें 4,000 एकड़ से अधिक भूमि पर कब्जा रखने वाले 11,200 से अधिक काश्तकारों को संपत्ति का अधिकार देने का प्रावधान है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पंजाब के उस विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसमें 4,000 एकड़ से अधिक भूमि पर कब्जा रखने वाले 11,200 से अधिक काश्तकारों को संपत्ति का अधिकार देने का प्रावधान है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार राष्ट्रपति ने तेलंगाना के एक विधेयक को भी अपनी मंजूरी दी, जो गंभीर अपराधों के मामलों में अदालत द्वारा तय की गई तारीख पर अभियुक्तों को पेश करने में विफल रहने पर ज़मानत लेने वाले लोगों पर जुर्माना लगाने की अनुमति देता है।
एक अधिकारी ने बताया कि पंजाब भोंदेदार, बुटेमार, डोहलीदार, इंसार मिआदी, मुकर्ररिदार, मुंधिमार, पनाही कदीम, सौंजीदार, या ताराद्दादकर (मालिकाना अधिकार निहित करना) विधेयक, 2020 पंजाब विधानसभा द्वारा 2020 में उस वक्त पारित किया गया था, जब कांग्रेस सरकार सत्ता में थी।
कानून को बाद में आम आदमी पार्टी सरकार ने भी मंजूरी दे दी थी।
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यह कदम उचित मुआवजे का भुगतान करने के बाद 4,000 एकड़ से अधिक भूमि पर कब्जा रखने वाले 11,200 से अधिक काश्तकारों को संपत्ति के अधिकार की अनुमति देता है।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि यह उम्मीद की जाती है कि कानून ऐसी भूमि जोतने वालों को सशक्त करेगा, जो समाज के आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों के हैं।
ये काश्तकार कई वर्षों से जमीन के छोटे-छोटे टुकड़ों पर काबिज हैं और पीढ़ी-दर-पीढ़ी उत्तराधिकारी के तौर पर अपने अधिकार प्राप्त करते हैं।
चूंकि वे पंजीकृत मालिक नहीं थे, इसलिए न तो वे वित्तीय संस्थानों से ऋण ले सकते थे और न ही किसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में उन्हें राहत मिलती थी, लेकिन अब उन्हें अन्य भूस्वामियों की तरह सभी लाभ मिलेंगे।
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दंड प्रक्रिया संहिता (तेलंगाना संशोधन) विधेयक, 2020 तेलंगाना की चंद्रशेखर राव सरकार द्वारा पेश किया गया था।
वर्ष 2016 में न्यायिक अधिकारियों के एक राज्य-स्तरीय सम्मेलन में आए सुझाव के बाद यह संशोधन पेश किया गया था।
अधिकारी ने बताया कि कानून गंभीर अपराधों के मामलों में निजी मुचलके के तौर पर उस व्यक्ति पर जुर्माना लगाने की अनुमति देता है, जो अदालत द्वारा तय की गई तारीख पर आरोपी को पेश करने में विफल रहता है।