टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी और कुंतल घोष की बढ़ी मुश्किलें, हाई कोर्ट ने इस मामले में दिये पूछताछ के आदेश

डीएन ब्यूरो

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता अभिषेक बनर्जी और रिश्वत के बदले स्कूल में नौकरी मामले में आरोपी कुंतल घोष से ईडी और सीबीआई पूछताछ कर सकते हैं और इस तरह की पूछताछ जल्द की जानी चाहिए। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

अभिषेक बनर्जी
अभिषेक बनर्जी


कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता अभिषेक बनर्जी और रिश्वत के बदले स्कूल में नौकरी मामले में आरोपी कुंतल घोष से ईडी और सीबीआई पूछताछ कर सकते हैं और इस तरह की 'पूछताछ जल्द की जानी चाहिए।'

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में कथित अनियमितताओं से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा कि घोष के साथ ही बनर्जी से केंद्रीय एजेंसियां जल्द ही पूछताछ कर सकती हैं।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यहां मैं 29 मार्च, 2023 को अभिषेक बनर्जी द्वारा आयोजित एक जनसभा का संज्ञान लेता हूं, जिसमें उन्होंने कुछ लोगों से यह बताकर उनका समर्थन करने का आग्रह किया कि जब वो लोग हिरासत में थे, तो पुलिस या पूछताछ करने वाली एजेंसियों ने उन पर अभिषेक बनर्जी का नाम लेने के लिए दबाव डाला।’’

टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने 29 मार्च को कोलकाता में एक जनसभा को संबोधित किया था। स्कूल नौकरी घोटाला मामले में आरोपी घोष ने हाल में आरोप लगाया था कि उन पर अभिषेक बनर्जी का नाम लेने के लिए जांचकर्ताओं द्वारा दबाव डाला जा रहा है।

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न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा कि घोष द्वारा शिकायत 31 मार्च को विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष और 1 अप्रैल को कोलकाता के हेस्टिंग्स पुलिस थाने में 29 मार्च को बनर्जी के उक्त भाषण देने की तिथि के आसपास की गई थी। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा कि इस मामले की जांच की आवश्यकता है।

न्यायाधीश ने कहा, 'यह पूछताछ और जांच का विषय है कि क्या कुंतल घोष ने अभिषेक बनर्जी के सार्वजनिक भाषण से प्रेरणा ली, जिसके लिए दोनों से ईडी और सीबीआई दोनों द्वारा पूछताछ की जा सकती है और इस तरह की पूछताछ जल्द की जानी चाहिए।’’

न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा कि पुलिस के समक्ष शिकायत दर्ज करके जांच एजेंसी के जांच अधिकारियों को 'आतंकित' करना पूरी तरह से अनुचित है। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा कि इस तरह के प्रयासों को तुरंत रोका जाना चाहिए, अन्यथा अधिकारी निडर तरीके से कार्य नहीं कर पाएंगे।

न्यायाधीश ने कहा कि घोष ने सीबीआई या ईडी के साथ उनकी हिरासत समाप्त होने के तुरंत बाद दोनों एजेंसियों के अधिकारियों द्वारा किसी भी यातना की शिकायत नहीं दी और जब उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया तो 31 मार्च और 1 अप्रैल की शिकायतों में ऐसा किया।

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एजेंसी द्वारा गिरफ्तारी के बाद से घोष 2 फरवरी तक ईडी की हिरासत में थे और 20 से 23 फरवरी तक सीबीआई की हिरासत में थे।

भर्ती घोटाले से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने निर्देश दिया कि अदालत की अनुमति के बिना प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के जांच अधिकारियों के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती।

इसने निर्देश दिया कि सीबीआई अदालत के समक्ष दायर और हेस्टिंग्स पुलिस थाने को भेजे गए घोष के पत्रों को इस अदालत के अगले आदेश तक किसी भी तरह से प्रभावी नहीं किया जाए।

ईडी और सीबीआई को 20 अप्रैल को इस अदालत के समक्ष वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ, यदि आवश्यक हो, तो इस मामले में अपनी जांच की रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया गया, जब इस मामले की फिर सुनवाई की जाएगी।










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