आखिर शरद पवार ने क्यों किये परिसर के बाहर से ही दगदूशेठ गणपति के दर्शन, राकांपा नेता ने बताई इसकी ये वजह
शरद पवार प्रसिद्ध दगदूशेठ गणपति मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए पुणे पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने परिसर के बाहर से ही भगवान के दर्शन किए, क्योंकि उन्होंने मांसाहारी भोजन किया था। पार्टी की पुणे इकाई के अध्यक्ष प्रशांत जगताप ने यह जानकारी दी। पढ़िए पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
पुणे: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार प्रसिद्ध दगदूशेठ गणपति मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए पुणे पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने परिसर के बाहर से ही भगवान के दर्शन किए, क्योंकि उन्होंने मांसाहारी भोजन किया था। पार्टी की पुणे इकाई के अध्यक्ष प्रशांत जगताप ने यह जानकारी दी।
दगदूशेठ गणपति मंदिर से सटी जमीन को मंदिर ट्रस्ट को सौंपे जाने की लंबे समय से चली आ रही मांग के बीच पवार शुक्रवार को पुणे में इस जमीन का निरीक्षण करने पहुंचे थे। यह जमीन राज्य के गृह विभाग की है, जिसका प्रभार वर्तमान में राकांपा नेता दिलीप वालसे पाटिल के पास है।
पवार के मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं करने और बाहर से दर्शन करने के बाद इसे लेकर सवाल उठने लगे थे। हालांकि, शाम को पत्रकारों से बातचीत में जगताप ने इस बारे में सफाई दी।
यह भी पढ़ें |
Sharad Pawar: संजय राउत ने शरद पवार की तुलना शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे से की, जानिये क्या कहा
उन्होंने कहा, ‘‘शरद पवार ने मंदिर जाने की योजना बनाई थी। हालांकि, उन्होंने बाहर से दर्शन करना पसंद किया, क्योंकि उन्होंने मांसाहारी भोजन किया था।’’
जगताप ने कहा, ‘‘पवार साहब ने मुझे बताया कि चूंकि उन्होंने दिन में मांसाहारी भोजन किया था, इसलिए उन्हें लगा कि मंदिर के अंदर जाना उचित नहीं है और इसके बजाय उन्होंने बाहर से दर्शन किए।’’
बाद में जब उपमुख्यमंत्री और राकांपा के वरिष्ठ नेता अजीत पवार, जो पुणे में ही मौजूद थे, से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे सवाल क्यों पूछे जा रहे हैं? अगर वह दर्शन करने जाते हैं तो सवाल पूछे जाते हैं और अगर नहीं करते हैं तो उन्हें नास्तिक बताया जाता है।’’
यह भी पढ़ें |
नई सियासी अटकलों के बीच शरद पवार ने राकांपा विधायकों की बैठक को लेकर कही ये बातें
उन्होंने कहा, ‘‘कई बार लोग मांसाहारी भेजन करते हैं, लेकिन दूसरों को इसके बारे में नहीं बताते हैं और दर्शन करने के लिए मंदिर के अंदर चले जाते हैं, जबकि कुछ लोग इसे खुलकर बताते हैं। मंदिर के बाहर से भी दर्शन किए जा सकते हैं। महामारी के बीच प्रतिबंधों के कारण लोग मंदिर की सीढ़ियों से ही दर्शन करते थे। (भाषा)