क्वाड शिखर- सम्मेलन में नये सदस्य जोड़ने को लेकर जानें व्हाइट हाउस ने क्या कहा

डीएन ब्यूरो

ऑस्ट्रेलिया में इस महीने के आखिर में होने वाले क्वाड नेताओं के शिखर- सम्मेलन से पहले व्हाइट हाउस ने कहा है कि इस समय इस समूह में नये सदस्यों को शामिल करने की कोई योजना नहीं है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव काराइन जीन-पियरे
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव काराइन जीन-पियरे


वाशिंगटन: ऑस्ट्रेलिया में इस महीने के आखिर में होने वाले क्वाड नेताओं के शिखर- सम्मेलन से पहले व्हाइट हाउस ने कहा है कि इस समय इस समूह में नये सदस्यों को शामिल करने की कोई योजना नहीं है।

क्वाड देशों में भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन आगामी 24 मई को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में चतुष्कोणीय समूह के शिखर-सम्मेलन में भाग लेंगे।

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन ज्यां-पियरे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘दो साल पहले क्वाड की स्थापना की गयी थी। क्वाड अभी अपेक्षाकृत युवा समूह है। इस समय इसमें नये सदस्यों को जोड़ने की कोई योजना नहीं है।’’

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उन्होंने कहा कि क्वाड के सदस्य अभी इसके लिए सहमत हैं। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हालांकि, क्वाड हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अनेक साझेदारों के साथ काम करने के अवसरों का स्वागत करता है।’’

ज्यां-पियरे ने कहा, ‘‘24 मई का सिडनी शिखर सम्मेलन क्वाड के लिए जलवायु, वैश्विक स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और अन्य क्षेत्र में साझेदारी करने के अन्य अवसरों को प्रदर्शित करेगा। क्वाड की सर्वोच्च प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि यह हिंद-प्रशांत के लिए अच्छी तरह से काम कर सके। इसलिए, इस समय विस्तार पर कोई बातचीत नहीं हो रही है।’’

पिछले साल मई में, क्वाड नेताओं ने दूसरी बार तोक्यो में प्रत्यक्ष मौजूदगी में शिखर बैठक की थी।

उस शिखर सम्मेलन के दौरान, राष्ट्रपति बाइडन ने महत्वाकांक्षी ‘समृद्धि के लिए भारत-प्रशांत आर्थिक ढांचा’ (आईपीईएफ) की शुरुआत की थी, जो स्वच्छ ऊर्जा, आपूर्ति-श्रृंखला में लचीलापन और डिजिटल व्यापार जैसे क्षेत्रों में समान विचारधारा वाले देशों के बीच गहन सहयोग के उद्देश्य वाली एक पहल है।

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भारत, अमेरिका और कई अन्य विश्व शक्तियां इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधि की पृष्ठभूमि में एक स्वतंत्र, खुला और संपन्न हिंद-प्रशांत सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बारे में बात कर रही हैं।

चीन लगभग संपूर्ण विवादित दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है, हालांकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके कुछ कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बना लिये हैं।










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