रायबरेली: पॉर्टनर की मौत के बाद दूसरा ले भागा पत्रावली, सैलरी की लिये भटकने को मजबूर हैं मजदूर
रायबरेली में ईंट भट्ठे में दो पार्टनर में से एक की मौत होने के बाद दूसरा पार्टनर पत्रावली लेकर भाग गया ।उसके बाद से मजदूरों के 6 महीने की सैलरी अटक गई। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
रायबरेली: ईंट भट्ठे पर काम करने वाले श्रमिको को मजदूरी न मिलने पर जिला अधिकारी कार्यालय के सामने आकर प्रदर्शन करना पड़ा। फर्म के खिलाफ प्रार्थना पत्र देते हुए मजदूरी का पैसा दिलाने की बात कही है।
मामला रायबरेली जिले के कान्हा ब्रिक फील्ड थुलवासा थाना क्षेत्र महाराजगंज का है। जहां पर भट्ठे के पूर्व मालिक अजय मोहन अग्रवाल का 14 फरवरी 2024 को निधन हो चुका है। उसके बाद उसे ब्रिक फील्ड की मालकिन उनकी पत्नी अंशिका अग्रवाल ने भट्ठे की कमान संभाली और सभी मजदूरों को एकत्रित करते हुए कहा कि जैसे आप मेरे पति के समय इस भट्ठे को अपना समझ कर काम करते थे उसी तरह काम करते रहिए। किसी को किसी प्रकार की समस्या नहीं होगी। जिसके बाद वहां पर काम कर रहे श्रमिकों ने ईंट पथाई का काम शुरू कर दिया।
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रायबरेली में 5 माह से मजूदरों को वेतन नहीं
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) August 6, 2024
➡️ईंट भट्टे की पत्रावली उठा ले गया दबंग, मजदूरों के सामने रोटी का संकट
➡️ईंट भट्टे पर 5 माह से नहीं मिली मजदूरों को तनख्वाह
➡️भुखमरी के कगार पर पहुंचे मजदूर और उनके परिवार के लोग
➡️सदर तहसील के थुलवासा गांव में कान्हा ब्रिक फील्ड का… pic.twitter.com/ToyV5HRAtr
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार प्रदर्शन करने आए श्रमिकों का आरोप है कि 5 महीने तक लगातार ईंट की पथाई का काम चलता रहा और जब काम पूरा हो गया तो हम लोगों ने मालकिन से अपने हिसाब का पैसा मांगा तो वह पैसा उन्हे नही मिला। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने यह भी बताया कि कान्हा ब्रिक फील्ड की मालकिन अंशिका अग्रवाल और साझेदार सोमनाथ वाजपेयी के बीच विवाद हो गया है। जिसके चलते अब आप लोगों का पैसा नहीं मिल सकता है। उनके द्वारा यह भी बताया गया कि जितना भी अभिलेख था वह दूसरे पार्टनर सोमनाथ वाजपेयी जबरन अपने साथ लेकर चले गए हैं। अब मेरे पास कोई भी हिसाब का रजिस्टर नहीं है। तो अब वह हिसाब किताब कैसे करें।
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वहीं प्रदर्शन कर रहे ब्रिक फील्ड के मुनीम ने कान्हा ब्रिक फील्ड का जीएसटी रजिस्ट्रेशन पूरी तरीके से अजय मोहन अग्रवाल के नाम था जिसका GSTN नंबर 09AJJPA7711L1Z2 है और जिसके मालिक वह खुद थे । इस पूरे मामले को लेकर जिला अधिकारी हर्षिता माथुर ने सिटी मजिस्ट्रेट धीरज श्रीवास्तव को मामले की जांच सौंपी है और काम कर रहे श्रमिकों को उनका मानदेय दिलाने का निर्देश दिया है।