पलामू में वन्यजीव संरक्षा के लिए रेलवे की पटरियों को बाघ रिजर्व से बाहर किया जा सकता है
पलामू बाघ अभयारण्य (पीटीआर) में वन्यजीवों के लिए सुरक्षित आवास सुनिश्चित करने के लक्ष्य से भारतीय रेल और राज्य का वन विभाग जल्दी ही रिजर्व से होकर गुजरने वाली रेलवे लाइनों का वैकल्पिक मार्ग तलाशने के लिए बैठक करेंगे।
झारखंड: पलामू बाघ अभयारण्य (पीटीआर) में वन्यजीवों के लिए सुरक्षित आवास सुनिश्चित करने के लक्ष्य से भारतीय रेल और राज्य का वन विभाग जल्दी ही रिजर्व से होकर गुजरने वाली रेलवे लाइनों का वैकल्पिक मार्ग तलाशने के लिए बैठक करेंगे।
वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अगर सबकुछ योजना के अनुसार हुआ तो दो मौजूदा और पीटीआर के बाहर प्रस्तावित तीसरे रेलवे लाइन के लिए वैकल्पिक मार्ग की तलाश के लिए समीक्षा इसी महीने की जाएगी।
पीटीआर हाथियों, तेंदुओं, भेड़ियों, गौर (जंगली भैंसा की भारतीय प्रजाति), रीछ (भालू का प्रजाति), चौसिंगा (चार सिंग वाला हिरण की प्रजाति का जीव), ऊदबिलाव आदि पाए जाते हैं। 2020 और इस साल यहां बाघ भी देखे गए हैं।
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वन विभाग बिहार के सोन नगर से पीटीआर के रास्ते झारखंड के पलामू जाने वाली तीसरी प्रस्तावित रेल लाइन का विरोध कर रहा है। यह 11 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन पीटीआर के बीचोबीच से गुजरने वाली है।
वन विभाग ने चिंता जतायी है कि प्रस्तावित रेलवे लाइन पीटीआर को दो भागों में बांट देगी और ट्रेनों की लगातार आवाजाही के कारण वन्यजीवों का यह आवास स्थाई रूप से दो हिस्सों में बंट जाएगा। इससे वन्यजीवों के घूमने-फिरने पर प्रतिकूल प्रभाव होगा।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्रधिकरण (एनटीसीए) ने भी 2020 में पीटीआर के बीच से एक और रेल लाइन बिछाने के खिलाफ चेतावनी दी थी। बाद में झारखंड सरकार ने वन विभाग की चिंताओं पर संज्ञान लिया और भारतीय रेल को प्रस्तावित लाइन को पीटीआर के बीच से हटाकर बफर जोन में करने का प्रस्ताव भेजा।
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पीटीआर के फील्ड निदेशक कुमार आशुतोष ने पीटीआई को बताया, ‘‘रेलवे ने प्रस्तावित तीसरी रेलवे लाइन और पीटीआर के बाहरी हिस्से में पहले से मौजूद दो रेलवे लाइनों के लिए वैकल्पिक मार्ग तलाशने को हाल ही में मंजूरी दे दी है। रेलवे लाइनों को रिजर्व के बफर जोन में बिछाया जाएगा।’’
‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की शुरूआत में देश में बने नौ बाघ अभयारण्य में शामिल पीटीआर की स्थापना 1974 में हुई थी।