आखिर क्यों एक के बाद एक आईएएस दे रहे हैं सरकारी नौकरी से इस्तीफा..
एक तरफ कहा जाता है कि नौजवानों में आईएएस बनने का जबरदस्त क्रेज है तो दूसरी तरफ जो आईएएस बन चुके हैं वे सरकारी नौकरी नही करना चाहते..आखिर क्या है वजह? डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..
नई दिल्ली: क्या हमारे देश का सरकारी सिस्टम ऐसा हो चला है जिसमें युवा अफसर अपने आप को फिट नही पा रहे? क्या वाकई सिस्टम के आगे सरकारी नौकरी करनी मुश्किल भरी हो गयी है..और वो भी आईएएस जैसी नौकरी?
भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देने वाले रोमन सैनी, डा. प्रेम सिंह की कड़ी में अब छ्त्तीसगढ़ कैडर के 2005 बैच के आईएएस ओपी चौधरी का नाम भी जुड़ गया है।
आईएएस की परीक्षा में सफल होने के बाद रोमन सैनी, डा. प्रेम सिंह ने इस्तीफा देने के बाद एकेडमिक क्षेत्र में उतरने का फैसला लिया लेकिन कल ओपी चौधरी ने इस्तीफा दे दिया। हालांकि उनका कारण कुछ राजनीतिक बताया जा रहा है। डाइनामाइट न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक वे छत्तीसगढ़ में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं।
चौधरी ने सोशल मीडिया पर अपने इस्तीफे का ऐलान किया।
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डॉ. प्रेम सिंह
मणिपुर त्रिपुरा कैडर के 2000 बैच के आईएएस अफसर डॉ. प्रेम सिंह ने इसी साल फरवरी में सरकारी सेवा को टाटा-बाय-बाय कह दिया। उनके मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर देश की सेवा करने के उनके जुनून ने उन्हें नौकरी से इस्तीफा देने की प्रेरणा दी।
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रोमन सैनी
मध्य प्रदेश कैडर के 2014 बैच के आईएएस रोमन सैनी ने नौजवानों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए नौकरी छोड़ दी। वर्ष 2015 में सैनी ने जबलपुर में परिवीक्षा अवधि में एसडीएम रहते हुए ही नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। जिसे डीओपीटी ने तीन वर्ष बाद इसी साल अप्रैल में स्वीकार किया।
अपने बच्चों को सिविल सेवा में नही भेजना चाहते तमाम आईएएस
ऐसा नही है कि सभीआईएएस अपने बच्चों को सिविल सेवा में नही भेजना चाहते लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे भी आईएएस और आईपीएस हैं जो सरकारी सिस्टम के दांव-पेंच की वजह अपने बच्चों को सिविल सेवा में नही भेजना चाहते। सिविल सेवा की बजाय ये वकालत, कारपोरेट जाब, आंटरप्रेन्योरशिप, प्रबंधन इत्यादि के क्षेत्र को वरीयता दे रहे हैं।