नागरिकता का आधार नहीं हो सकता धर्म: मनीष तिवारी
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने बुधवार को कहा कि जिस देश के संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्षता निहित है, वहां धर्म नागरिकता का आधार नहीं हो सकता। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने बुधवार को कहा कि जिस देश के संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्षता निहित है, वहां धर्म नागरिकता का आधार नहीं हो सकता।
इससे पहले एक अधिकारी ने कहा कि संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) को लोकसभा चुनावों की घोषणा से ‘‘काफी पहले’’ अधिसूचित किया जाएगा।
नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए सीएए के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों-हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई-को भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी। दिसंबर 2019 में संसद द्वारा सीएए पारित होने और बाद में राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद देश के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए।
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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि सीएए के नियमों को लोकसभा चुनाव की घोषणा से ‘‘काफी पहले’’ अधिसूचित किया जाएगा। सरकारी अधिकारी की टिप्पणी पर मीडिया की एक खबर को संलग्न करते हुए तिवारी ने कहा, ‘‘जिस देश के संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्षता निहित है, क्या धर्म नागरिकता का आधार हो सकता है, चाहे वह भौगोलिक सीमाओं के दायरे में हो या उनसे बाहर? इसका जवाब नहीं है।’’
पंजाब से सांसद तिवारी ने कहा, ‘‘दिसंबर 2019 में जब मैंने लोकसभा में सीएए विधेयक के विरोध का नेतृत्व किया तो यह मेरे तर्क का केंद्र बिंदु था। यह उच्चतम न्यायालय के समक्ष चुनौती में मुख्य प्रश्न है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘काल्पनिक रूप से- कल कोई सरकार यह तर्क दे सकती है कि धर्म नागरिकता का आधार होगा, यहां तक कि क्षेत्रीय रूप से भी जन्म स्थान या भारत के संविधान या नागरिकता अधिनियम में नागरिकता के लिए अन्य मानदंड नहीं होगा।’’
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तिवारी ने कहा कि हमारे पड़ोस में धार्मिक उत्पीड़न से निपटने के लिए उचित वर्गीकरण के नाम पर, उन्हें उम्मीद है कि किसी अन्य ‘‘कपटपूर्ण सांचे’’ के लिए जमीन तैयार नहीं की जा रही है।