चावल खाने वालों के लिए राहत की खबर, नहीं बिक रहे हैं प्लास्टिक के चावल
सोशल मीडिया और खबरों में कई दिन से प्लास्टिक के चावल बेचे जाने की बात कही जा रही है। खबर है कि तेलंगाना, उत्तराखंड, कर्नाटक कई राज्यों में प्लास्टिक के चावल बिक रहे हैं।
नई दिल्ली: प्लास्टिक के चावल बिकने के दावे को यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंस ने अपने टेस्ट में झूठा करार दिया है। कई दिनों से सोशल मीडिया पर यह अफवाह फैलाई जा रही थी कि तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और उत्तराखंड सहित कई राज्यों में प्लास्टिक के चावल बिक रहे हैं। वहीं दूसरी ओर राइस मिल संगठनों का कहना है कि सामान्य तौर पर 40-50 रुपये किलो बिकने वाले चावल को अगर प्लास्टिक का बनाया जाए तो एक किलो चावल की लागत 200 रुपये बैठेगी। ऐसे में कोई क्यों चार गुना घाटा सहकर नकली चावल बेचेगा।
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एग्रीकल्चर साइंस यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों के मुताबिक जिन चावलों को प्लास्टिक का बताया जा रहा है उनमें प्लास्टिक का कोई तत्व नहीं है। वे खराब क्वॉलिटी के हैं। यूनिवर्सिटी विशेषज्ञों ने बताया कि नकली या प्लास्टिक के चावल बनाना संभव नहीं है। प्रफेसर केवी जमुना ने कहा चावल में मॉइसचर, प्रोटीन और फैट- तीनों थे। ये नकली चावल में नहीं हो सकते। हालांकि इन चावलों में चॉक पाई गई। यह तभी पाई जाती है जब चावल खराब क्वॉलिटी का हो।
कर्नाटक के राइस मिल एसोसिएशन के जनरल सेक्रटरी ने एन श्रीनिवार राव के मुताबिक प्लास्टिक के चावल बनाए ही नहीं जा सकते।
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