सत्तारूढ़ द्रमुक तमिलनाडु के किसानों, अल्पसंख्यकों को धोखा दे रही है: अन्नाद्रमुक महासचिव
अखिल भारतीय द्रमुक मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के महासचिव एडप्पडी के. पलानीस्वामी ने तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) पर किसानों और अल्पसंख्यकों के साथ ‘‘धोखाधड़ी करने’’ का आरोप लगाया और कहा कि पार्टी की कथनी और करनी में अंतर है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
कोयंबटूर: अखिल भारतीय द्रमुक मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के महासचिव एडप्पडी के. पलानीस्वामी ने तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) पर किसानों और अल्पसंख्यकों के साथ ‘‘धोखाधड़ी करने’’ का आरोप लगाया और कहा कि पार्टी की कथनी और करनी में अंतर है।
क्रिसमस समारोह के सिलसिले में मंगलवार को यहां आयोजित एक बैठक को संबोधित करते हुए पलानीस्वामी ने तिरुवन्नमलाई जिले के मेल्मा में एसआईपीसीओटी परियोजना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों की हिरासत और यरुशलम तीर्थयात्रा के लिए ईसाइयों को कथित तौर पर सरकारी निधि नहीं देने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की।
उन्होंने दावा किया कि द्रमुक ने विपक्ष में रहने के दौरान सभी मुद्दों पर तत्कालीन अन्नाद्रमुक सरकार का कड़ा विरोध करके खुद को किसानों और अल्पसंख्यकों के संरक्षक के रूप में पेश किया था और अब वह उन्हीं बातों के विपरीत काम कर रही है। पलानीस्वामी ने कहा कि सत्ता में आने के बाद द्रमुक जनता, खासकर किसानों और ईसाइयों के हितों के खिलाफ जा रही है।
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पलानीस्वामी ने कहा, ‘‘विपक्ष के नेता के रूप में एम. के. स्टालिन ने हरे रंग की शॉल ओढ़ी और खुद को तटीय जिले का किसान बताया। लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में उनके शासन में मेल्मा एसआईपीसीओटी परियोजना का विरोध करने वाले किसानों को गुंडा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया।’’
पलानीस्वामी ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने यरुशलम जाने के लिए ईसाई तीर्थयात्रियों को राजकोष से निधि जारी नहीं की।
पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया, ‘‘सरकार से सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक संस्थानों को अब रिक्त पदों को भरने में मुश्किल हो रही है।’’
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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उन्होंने कहा, ‘‘देखिए कैसे द्रमुक चालाकी से किसानों और अल्पसंख्यकों को धोखा दे रही है। स्टालिन ने खुद को किसानों के ‘हितैषी’ के तौर पर पेश किया था और अन्नाद्रमुक की परियोजनाओं का विरोध किया था और अब वह किसानों के हितों के खिलाफ जा रहे हैं। अल्पसंख्यकों के बारे में भी अब उनका यही दृष्टिकोण है।