एस जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री किन गांग से की मुलाकात, जानिये किन मुद्दों पर हुई बात

डीएन ब्यूरो

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि चीन के विदेश मंत्री किन गांग के साथ उनकी पहली मुलाकात में द्विपक्षीय संबंधों में मौजूदा चुनौतियों से निपटने पर, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन-चैन बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

चीन और भारत के विदेश मंत्री
चीन और भारत के विदेश मंत्री


नयी दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि चीन के विदेश मंत्री किन गांग के साथ उनकी पहली मुलाकात में द्विपक्षीय संबंधों में मौजूदा चुनौतियों से निपटने पर, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन-चैन बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

जी-20 के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर यह चर्चा हुई। पूर्वी लद्दाख में 34 महीने से अधिक समय से जारी सीमा विवाद के बीच बैठक हुई। किन दिसंबर में चीन के विदेश मंत्री बने थे जिसके बाद उनकी जयशंकर के साथ यह पहली मुलाकात थी।

किन भारत की मेजबानी में हो रही जी-20 की बैठक में शामिल होने बृहस्पतिवार सुबह दिल्ली पहुंचे। जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘आज दोपहर में जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर चीन के विदेश मंत्री किन गांग से मुलाकात की। हमारी बातचीत में द्विपक्षीय संबंधों, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के लिए मौजूदा चुनौतियों पर ध्यान देने पर जोर दिया गया।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘हमने जी-20 के एजेंडा के बारे में भी बातचीत की।’’ भारत कहता रहा है कि चीन के साथ उसके संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते, जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं आती। जयशंकर ने करीब आठ महीने पहले बाली में जी-20 की एक बैठक से इतर तत्कालीन चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी।

उन्होंने सात जुलाई को हुई एक घंटे की बैठक के दौरान वांग को पूर्वी लद्दाख में लंबित सभी मुद्दों के जल्द समाधान की जरूरत का संदेश दिया था। तब विदेश मंत्री ने वांग से कहा था कि दोनों देशों के बीच संबंध आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हितों पर आधारित होने चाहिए। वांग पिछले साल मार्च में भारत आये थे।

दोनों पक्षों ने सैन्य वार्ता के 16वें दौर में लिये गये फैसलों के अनुरूप पिछले साल सितंबर में गोगरा-हॉटस्प्रिंग क्षेत्र में स्थित पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 से सैनिकों को वापस बुलाया था। लेकिन दुनिया की दो सबसे बड़ी सेनाओं के बीच डेमचोक और डेपसांग क्षेत्रों में टकराव की स्थिति बनी रही। भारत ने टकराव के बाकी बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी करने पर जोर दिया था।

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भारत और चीन ने गत 22 फरवरी को बीजिंग में प्रत्यक्ष राजनयिक वार्ता की थी और पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थित टकराव वाले बाकी बिंदुओं से सैनिकों की वापसी के प्रस्ताव पर ‘खुली और सकारात्मक चर्चा’ की थी।

भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और सहयोग के लिए कार्य प्रणाली की रूपरेखा के तहत बैठक हुई। पैंगांग झील क्षेत्र में हिंसक संघर्ष के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा क्षेत्र में गतिरोध पैदा हुआ था। जून 2020 में गल्वान घाटी में भीषण टकराव के बाद दोनों देशों के बीच संबंध में और तनाव आ गया था।

शृंखलाबद्ध सैन्य और राजनयिक वार्ताओं के परिणामस्वरूप दोनों पक्षों ने पैंगांग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों तथा गोगरा क्षेत्र में 2021 में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की।










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