Sawan 2024: जानिये सावन माह की महत्वपूर्ण बातें और सोमवार के व्रत का महत्व
सावन माह भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। इस माह में शिवजी की पूजा-अर्चना की जाती है और भक्त श्रावण के सोमवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। सावन के अनुष्ठानिक और धार्मिक महत्व को समझने में रोमांचक है।
भारतीय परंपरा में महत्वपूर्ण माह
सावन माह हिंदू संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जो पुराणों और प्राचीन परंपराओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, सावन की उत्पत्ति समुद्र मंथन से जुड़ी है, जिसमें समुद्र मंथन के दौरान विभिन्न देवी-देवताओं द्वारा निकाले गए अमृत के अलावा हलाहल जैसे जहरीले पदार्थ भी सामने आए थे। विश्व को इस हानिकारक शक्ति से बचाने के लिए, हिंदू धर्म के सर्वोच्च देवता भगवान शिव ने इस हलाहल को ग्रहण करने का निर्णय लिया था। इस हालात में, उनकी पत्नी देवी पार्वती ने उनकी गले पर दबाव डालकर उसे रोक लिया, जिससे उनकी गला नीला हो गया। इस कारण से उन्हें "नीलकंठ" नाम से जाना जाता है। तब से लेकर आज तक, सावन माह भगवान शिव को समर्पित है, और इस माह में भक्त उनकी कृपा और सुरक्षा के लिए प्रार्थना और अनुष्ठान करते हैं।
शिव की पूजा से युक्त माह
सावन का महीना हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस माह में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से अत्यंत पुण्य प्राप्त होता है और भक्त उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। यह माना जाता है कि सावन में उपवास रखने, जल चढ़ाने, और भजन-कीर्तन करने से आत्मा का शुद्धिकरण होता है और जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
सावन माह की शुरुआत और समाप्ति
ज्योतिषियों की मानें तो 21 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा मनाई जाएगी. इसके अगले दिन से ही सावन का महीना शुरू हो जाएगा. इस प्रकार पंचांग के अनुसार, इस साल सावन का महीना 21 जुलाई नहीं, बल्कि 22 जुलाई 2024 से शुरू होगा. वहीं, 19 अगस्त 2024 को सावन का महीना समाप्त हो जाएगा.
सावभक्ति और आध्यात्म की महत्वपूर्ण बातें
1. कांवड़ यात्रा: सावन के माह में शिव भक्त अक्सर कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं, जिसमें वे शिवालय में जल चढ़ाने के लिए श्रावण सोमवार को पानी लेकर यात्रा करते हैं। 2. शिवलिंग पर जल चढ़ाना: हर सोमवार को भक्त शिवलिंग पर गंगाजल या दूध चढ़ाते हैं, इसे शिव की कृपा प्राप्त करने का अवसर माना जाता है। 3.उपवास और व्रत: सावन में भक्त व्रत रखते हैं और विशेष आहार निषेध करते हैं, जैसे कि सदाबहार फल, गाय का दूध और सात्विक भोजन। 4. कांवड़ मेला: सावन के दौरान कांवड़ मेले आयोजित किए जाते हैं, जहां भक्त शिव की पूजा-अर्चना के लिए उपस्थित होते हैं और आध्यात्मिक संवाद को मजबूत करते हैं। 5. भजन और कीर्तन: सावन के इस माह में भक्त भजन और कीर्तन करते हैं, जिससे वे भगवान शिव की महिमा गाते हैं और उनकी स्तुति करते हैं।
पांच शुभ योगों का महत्व
सावन माह के 5 शुभ योगों का महत्व हिंदू पंचांग में विशेष माना जाता है। इन योगों में पूर्णिमा, सोमवार, त्रयोदशी, एकादशी, और अमावस्या शामिल होते हैं। ये योग भगवान शिव की पूजा और अनुष्ठान के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं और भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा और पुण्य प्राप्त करने में सहायक होते हैं।