गुमराह करने वाले विज्ञापनों पर SC ने की कार्रवाई, दिल्ली समेत इन राज्यों के मुख्य सचिव तलब

डीएन ब्यूरो

जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने आयुर्वेदिक सिद्ध एवं यूनानी दवाओं के गैरकानूनी विज्ञापनों से जुड़े मामले में आज कुछ राज्यों के मुख्य सचिवों को तलब कर दिया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली: आयुर्वेदिक, सिद्ध एवं यूनानी दवाओं के गैरकानूनी विज्ञापनों के विरुद्ध कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली, आंध्र प्रदेश और जम्मू-कश्मीर समेत कई राज्यों की आलोचना की और उनके मुख्य सचिवों को तलब किया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि उसके आदेशों का शायद ही अनुपालन हुआ है। पीठ ने मुख्य सचिवों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अदालत में पेश होकर यह बताने को कहा कि इन राज्यों ने आदेशों का अनुपालन क्यों नहीं किया।

आदेश नहीं मान रहे राज्य

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न्याय मित्र के रूप में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने कहा कि ज्यादातर राज्यों ने उल्लंघकर्ताओं की माफी स्वीकार करके और शपथ पत्र लेकर उन्हें बरी कर दिया है।

पीठ ने कहा, 'न्याय मित्र ने सही ही कहा है कि आयुर्वेदिक, सिद्ध या यूनानी दवाओं के गैरकानूनी विज्ञापनों के मुद्दे से काफी हद तक निपट लिया जाएगा, अगर सभी राज्य ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 के रूल 170 को सही भावना से लागू करना प्रारंभ कर दें। इस अदालत द्वारा जारी कई आदेशों के बावजूद राज्य उनका अनुपालन नहीं कर रहे।

सात मार्च को होगी सुनवाई

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मामले की अगली सुनवाई सात मार्च को होगी। ये मामला आयुष मंत्रालय द्वारा पिछले साल अगस्त में आयुष मंत्रालय की अधिसूचना पर शीर्ष अदालत द्वारा रोक लगाने से जुड़ा है। इसमें नियम 170 को विवादास्पद रूप से छोड़ दिया गया था।

अदालत ने अधिसूचना को 7 मई 2024 के आदेश का उल्लंघन बताया था। उस आदेश में अदालत ने कहा था कि कोई भी विज्ञापन जारी करने से पहले केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के तहत सेल्फ डिक्लेरेशन देना होगा।










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