बीमार छात्रा की मौत के बाद एक्शन में आया स्कूल प्रबंधन, आंतरिक जांच शुरू, जानें पूरा माजरा

डीएन ब्यूरो

हरियाणा के फरीदाबाद में एक निजी स्कूल के प्रबंधन ने एक शिक्षिका द्वारा कक्षा सात की एक छात्रा को तबीयत खराब होने के बावजूद कथित रूप से परीक्षा खत्म होने तक घर न जाने देने और घटना के अगले दिन उसकी मौत होने के मामले में आंतरिक जांच शुरू कर दी है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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फरीदाबाद: हरियाणा के फरीदाबाद में एक निजी स्कूल के प्रबंधन ने एक शिक्षिका द्वारा कक्षा सात की एक छात्रा को तबीयत खराब होने के बावजूद कथित रूप से परीक्षा खत्म होने तक घर न जाने देने और घटना के अगले दिन उसकी मौत होने के मामले में आंतरिक जांच शुरू कर दी है। स्कूल में कार्यरत एक कर्मचारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर सोमवार को यह जानकारी दी।

कर्मचारी के मुताबिक, स्कूल प्रबंधन ने आंतरिक समिति बनाकर मामले की जांच शुरू कर दी है और मृत छात्रा आराध्या खंडेलवाल (11) के परिजनों को इसकी जानकारी दे दी गई है।

आराध्या फरीदाबाद के सेक्टर-19 स्थित एक निजी स्कूल में पढ़ती थी। परिजनों ने स्कूल प्रबंधन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए दावा किया था कि गत बुधवार को आराध्या की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी, लेकिन चूंकि उस दिन गणित की परीक्षा थी, इसलिए हमने उसे स्कूल भेज दिया।

परिजनों के मुताबिक, स्कूल पहुंचने पर आराध्या की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और उसे उल्टियां होने लगीं। उन्होंने आरोप लगाया कि आराध्या ने शिक्षिका को अपनी तबीयत के बारे में बताया, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने बच्ची की हालत को लेकर उन्हें अंधेरे में रखा।

परिजनों के अनुसार, आराध्या को तब तक कक्षा में बैठने के लिए मजबूर किया गया, जब तक उसने गणित का प्रश्नपत्र हल नहीं कर लिया। इसके बाद उसे स्कूल की डिस्पेंसरी में जाने के लिए कहा गया।

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आराध्या के पिता अभिलाष खंडेलवाल ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि उनकी बेटी को दोपहर डेढ़ बजे छुट्टी होने के बाद ही घर जाने की अनुमति दी गई। उन्होंने कहा कि वापसी में आराध्या को स्कूल बस में भी उल्टी हुई और जब वह घर पहुंची तो उसने नींबू पानी मांगा।

अभिलाष के मुताबिक, “नींबू पानी पीने के एक घंटे बाद आराध्या की तबीयत और बिगड़ गई। हमने अपने पारिवारिक डॉक्टर से संपर्क किया, जिन्होंने उसे ओआरएस का घोल और कुछ दवाएं देने को कहा। दवा खिलाने के बाद आराध्या ने आराम महसूस होने की बात कही और सोने चली गई। पर अगली सुबह जब वह उठी तो उसे और उल्टियां होने लगीं। हम उसे पास के अस्पताल ले गए, जहां जांच के दौरान उसकी मौत हो गई।”

आराध्या के परिजनों ने घटना को लेकर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ पुलिस में अभी कोई शिकायत नहीं दर्ज कराई है, लेकिन उन्होंने ट्विटर के माध्यम से स्कूल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

सेक्टर-19 पुलिस चौकी के प्रभारी हिमांशु ने कहा कि जब छात्रा के परिजन कोई शिकायत लेकर आएंगे, तो उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

उधर, स्कूल प्राचार्य ने इस मामले में कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया है। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और स्कूल प्रबंधन इस संबंध में किसी भी जांच में पूरा सहयोग देगा।

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वहीं, आराध्या की एक सहपाठी की मां ने अपनी बेटी के हवाले से बताया, “आराध्या ने जब शिक्षिका से उल्टी जैसा लगने की बात कही, तो उन्होंने उसे वॉशरूम में जाने को कहा। तबीयत खराब होने के बावजूद उससे परीक्षा दिलवाई गई। पूरी परीक्षा के दौरान उसे पसीना आ रहा था।”

लड़की की मां ने अपनी बेटी के हवाले से कहा, “आराध्या एकदम सुस्त थी। वह ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। उसकी आंखें भी बंद हो रही थीं।”

महिला ने बच्ची की सेहत इतनी खराब होने के बावजूद अभिभावकों को सूचित न करने के स्कूल प्रबंधन के फैसले पर सवाल उठाए।

उसने कहा, “उन्हें सबसे पहले अभिभावकों को सूचित करना चाहिए था। शिक्षिका बच्ची की हालत से वाकिफ थीं। उन्होंने बच्ची को डिस्पेंसरी तो भेज दिया, लेकिन उसमें बिगड़ते लक्षणों को घंटों नजरअंदाज किया गया।”










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