देश में सेवा क्षेत्र की वृद्धि 13 साल के उच्चस्तर पर, जानिये नए कारोबार और उत्पादन पर ये अपडेट

डीएन ब्यूरो

देश में सेवा क्षेत्र की वृद्धि अप्रैल में करीब 13 साल के उच्चस्तर पर पहुंच गई। एक मासिक सर्वे में बुधवार को यह जानकारी दी गई है। इसमें कहा गया है कि मजबूत मांग परिस्थितियों से नए कारोबार और उत्पादन में काफी तेज वृद्धि देखने को मिली। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में एसोसिएट निदेशक  पॉलियाना डि लीमा
एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में एसोसिएट निदेशक पॉलियाना डि लीमा


नयी दिल्ली: देश में सेवा क्षेत्र की वृद्धि अप्रैल में करीब 13 साल के उच्चस्तर पर पहुंच गई। एक मासिक सर्वे में बुधवार को यह जानकारी दी गई है। इसमें कहा गया है कि मजबूत मांग परिस्थितियों से नए कारोबार और उत्पादन में काफी तेज वृद्धि देखने को मिली।

खास बात यह है कि कीमत के मोर्चे पर दबाव के बावजूद मांग बढ़ी है।

मौसमी रूप से समायोजित एसएंडपी ग्लोबल इंडिया सर्विसेज पीएमआई सूचकांक अप्रैल में बढ़कर 62 पर पहुंच गया। यह मार्च में 57.8 के स्‍तर पर था। इन आंकड़ों से पता चलता है कि देश में सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में 2010 के मध्य के बाद सबसे तेज विस्तार हुआ है। अनुकूल बाजार परिस्थितियों तथा नए कारोबार में वृद्धि से सेवा पीएमआई यह उछाल दर्ज हुआ है।

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यह लगातार 21वां महीना है जबकि सेवा पीएमआई 50 के स्तर से ऊपर बना हुआ है। खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) के 50 से ऊपर होने का मतलब विस्तार से होता है। यदि यह 50 से नीचे है, तो गिरावट को दर्शाता है।

एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में एसोसिएट निदेशक (इकनॉमिक्स) पॉलियाना डि लीमा ने कहा, ‘‘भारत के सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन अप्रैल में काफी शानदार रहा है। इस दौरान नए कारोबार और उत्पादन में वृद्धि पिछले करीब 13 साल में सबसे अधिक रही है। सबसे बेहतर प्रदर्शन वित्तीय और बीमा क्षेत्र ने किया है।’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियों ने संकेत दिया है कि अप्रैल में भारतीय सेवाओं की अंतरराष्ट्रीय मांग में खासा सुधार हुआ है। नया निर्यात कारोबार लगातार तीसरे महीने बढ़ा है।

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हालांकि, मूल्य के मोर्चे पर बात की जाए, तो अप्रैल में उत्पादन लागत पिछले तीन माह में सबसे तेजी से बढ़ी है। सर्वे के अनुसार, खाने-पीने का सामान, ईंधन, दवाएं, परिवहन और मजदूरी मुद्रास्फीति की प्रमुख वजह हैं। उपभोक्ता सेवाओं पर औसत खर्च में सबसे तेज वृद्धि देखने को मिली है।










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