क्या भारत और अमेरिका को AI सेक्टर में मिलकर करना चाहिये, जानने के लिए पढ़ें ये पूरी रिपोर्ट
अमेरिका और भारत जैसे समान विचारधारा वाले देशों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या एआई) के भविष्य को आकार देने के लिए साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की भारतीय मूल की विज्ञान सलाहकार आरती प्रभाकर ने शुक्रवार को यह बात कही। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
वाशिंगटन: अमेरिका और भारत जैसे समान विचारधारा वाले देशों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या एआई) के भविष्य को आकार देने के लिए साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की भारतीय मूल की विज्ञान सलाहकार आरती प्रभाकर ने शुक्रवार को यह बात कही।
प्रभाकर ने बताया कि बाइडन प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने के लिए गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसे दिग्गज आईटी कंपनियों की मदद लेने का फैसला किया है कि एआई का दुरुपयोग न हो और इसका इस्तेमाल जनता की भलाई के लिए किया जाए।
प्रभाकर ने डाइनामाइट न्यूज़ के साथ साक्षात्कार में कहा, “हम जो काम कर रहे हैं, उसमें कंपनियों को जवाबदेह बनाने के लिए उनके साथ काम करना शामिल है और आज इस पर कुछ महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। हम उन कार्यकारी कदमों पर भी काम कर रहे हैं, जो हम मौजूदा कानून के तहत उठा सकते हैं। राष्ट्रपति बाइडन एक कार्यकारी आदेश जारी करने पर विचार कर रहे हैं, जो हमें लगता है कि वास्तव में एआई के खतरों से निपटने की हमारी क्षमता में इजाफा कर सकता है और इसका सदुपयोग भी सुनिश्चित कर सकता है।”
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प्रभाकर ने कहा, “हम द्विदलीय कानून पर कांग्रेस (अमेरिकी संसद) के साथ मिलकर काम करना भी जारी रखेंगे। हम वैश्विक स्तर पर भारत सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय साझेदारों और सहयोगियों के साथ मिलकर किए जा रहे कार्यों की आलोचनाओं का भी जवाब देंगे।”
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “ऐसा इसलिए, क्योंकि एआई एक वैश्विक तकनीक है। यह सभी जगह मौजूद है। हर कोई इसे अपना रहा है और यह वास्तव में लोगों के जीवन को प्रभावित कर रही है। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि समान विचारधारा वाले देश एआई के भविष्य को आकार देने के लिए साथ मिलकर काम करें।”
प्रभाकर ने बताया कि पिछले महीने वाशिंगटन में राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच मुलाकात में एआई चर्चा के प्रमुख विषयों में से एक था।
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उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि जब वैश्विक नेता राष्ट्रपति बाइडन से मिलते हैं, तब एआई पर चर्चा भी उनके दिमाग में रहती है। प्रधानमंत्री मोदी और कई अन्य लोगों के मामले में ऐसा देखने को मिला। जब प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया और फिर राजकीय रात्रिभोज तथा उपराष्ट्रपति और विदेश मंत्री द्वारा आयोजित दोपहर के भोज में शामिल हुए, तब मुझे वहां मौजूद रहने का अवसर मिला। इस दौरान मैंने पाया कि चर्चा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का जिक्र बार-बार आया।”