श्री खाटू श्याम जी श्याम बाबा

डीएन ब्यूरो

श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा (स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !!

 श्री खाटू श्याम जी श्याम बाबा
श्री खाटू श्याम जी श्याम बाबा


नई दिल्ली: श्री खाटू श्याम जी श्याम बाबा का फाल्गुनी सतरंगी मेला चालू हो गया है। श्री खाटू वाले का हर साल आने वाला फाल्गुन महीने का मेला होली के त्यौहार से कुछ दिन पहले शुरू होता है

श्री खाटू श्याम जिन्हें शीश का दानी के नाम से यह संसार पूजता है।खाटू श्याम महाभारत काल में पांडव महाबली भीम के पोत्र और घटोत्कच और माँ मोर्वी ( कामकटंकटा ) के पुत्र वीर बर्बरीक ने जब हारे का साथ अपनी माँ मोर्वी को निभाने के वचन अपनी माता मोर्वी को दिया तब भगवन श्री कृष्णा ने वीर बर्बरीक से उनका शीश दान मांग लिया वीर बर्बरीक ने ख़ुशी ख़ुशी अपना शीश भगवान श्री कृष्णा की दान में दे दिया। भगवान श्री कृष्णा इस महान शीश बलिदान से खुश होकर वीर बर्बरीक को यह वरदान दिया की जब यह संसार कलियुग में तुम्हारे मेरे नाम से "श्याम " से घर घर में पुजेगा और तुम सबकी मनोकामना पूर्ण करोगे आज खाटू वाला श्याम अपने भक्तो की सभी मनोकामनाए पूर्ण करता है देश विदेश से भक्त बाबा श्याम के दर्शन पाने खाटू नगरिया में आते है श्री श्याम बाबा के धवजा निशान चदाते है फाल्गुन माह की द्वादशी को उन्होंने अपने शीश का दान दिया था इस प्रकार वे शीश के दानी कहलाये।। एक गाय उस स्थान पर आकर रोज अपने स्तनों से दुग्ध की धारा स्वतः ही बहा रही थी। बाद में खुदाई के बाद वह शीश प्रकट हुआ, जिसे कुछ दिनों के लिए एक ब्राह्मण को सूपुर्द कर दिया गया। एक बार खाटू नगर के राजा को स्वप्न में मन्दिर निर्माण के लिए और वह शीश मन्दिर में सुशोभित करने के लिए प्रेरित किया गया। तदन्तर उस स्थान पर मन्दिर का निर्माण किया गया और कार्तिक माह की एकादशी को शीश मन्दिर में सुशोभित किया गया, जिसे बाबा श्याम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। मूल मंदिर 1027 ई। में रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कँवर द्वारा बनाया गया था। मारवाड़ के शासक ठाकुर के दीवान अभय सिंह ने ठाकुर के निर्देश पर 1720 ई। में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। मंदिर इस समय अपने वर्तमान आकार ले लिया और मूर्ति गर्भगृह में प्रतिस्थापित किया गया था। मूर्ति दुर्लभ पत्थर से बना है। खाटूश्याम परिवारों की एक बड़ी संख्या के परिवार देवता है।

खाटू श्याम का मेला

यह भी पढ़ें | ताईवान में अनोखा शिवलिंग

खाटू श्यामजी मंदिर में प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष में बड़े मेले का आयोजन होता है। हर साल इस मेले में काफ़ी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। यह मेला फागुन सुदी दशमी के आरंभ और द्वादशी के अंत में लगता है।

 

जय जय श्री श्याम

यह भी पढ़ें | कामदेव को होली के दिन मिला था पुनर्जन्म

दरअसल कार्तिक माह की एकादशी को शीश मन्दिर में सुशोभित किया गया, जिसे बाबा श्याम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। खाटू के श्याम मंदिर में श्याम के मस्तक स्वरूप की पूजा होती है, जबकि पास ही में स्थित रींगस में धड़ स्वरूप की पूजा की जाती है। खाटू श्याम जी का मुख्य मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के गांव खाटू में बना हुआ है। श्री खाटू श्याम मंदिर जयपुर से उत्तर दिशा में वाया रींगस होकर 80 किलोमीटर दूर पड़ता है। खाटू श्यामजी मंदिर में प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष में बड़े मेले का आयोजन होता है। हर साल इस मेले में काफी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। यह मेला फागुन सुदी दशमी के आरंभ और द्वादशी के अंत में लगता है। हज़ारों श्रद्धालु यहां पदयात्रा करके पहुंचते हैं, वहीं कई लोग दंडवत करते हुए खाटू नरेश के दरबार में हाजिरी देते हैं। इस मेले में लाखों श्रद्धालु आते हैं। प्रत्येक एकादशी और रविवार को भी यहां भक्तों की लंबी कतारें लगी होती हैं।










संबंधित समाचार