महराजगंजः सामाजिक बुराइयों के खात्मे के लिए जानिये इस अनूठी पहल के बारे में

डीएन संवाददाता

डाइनामाइट न्यूज़ आपको अपनी इस रिपोर्ट में एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहा है, जो सामाजिक बुराइयों के खात्मे के लिए तीन दशक से एक अनूठी पहल चला रहे हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

सामाजिक विसंगतियों के खिलाफ मुहिम
सामाजिक विसंगतियों के खिलाफ मुहिम


महराजगंजः ऐसी लागी लगन, मीरा हो गई मगन, वो तो गली-गली हरिगुन गानें लगी..। कुछ ऐसी ही धुन महराजगंज के बिस्मिल नगर निवासी श्याम नरायन शास्त्री को लगी हुई है। बीते तीन दशकों से अधिक समय से वे वेदों के प्रचार प्रसार के साथ ही कई तरह की सामजिक बुराईयों को दूर करने का कार्य कर रहे हैं।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार श्याम नरायन शास्त्री ने वर्ष 1970 में गोरखपुर से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की और इसके बाद अध्यात्म की राह पकड ली। गोरखनाथ मंदिर में कई वर्ष व्यतीत करने के उपरांत यह गोरक्षपीठ के तुलसीपुर मठ में भी रहे।

उनको  गोरखनाथ मंदिर के महंत अवेद्यनाथ जी का भी विशेष सानिध्य रहा और वे चौक महराजगंज में भी रहे। 

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वेदों के प्रसार का उदेश्य
श्याम नरायन शास्त्री ने डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में कहा कि दबे कुचले लोगों को वेदों के माध्यम से विद्वान बनाकर समाज की मुख्य धारा में शामिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अंधविश्वास और रूढिवादी परंपराओं का उन्मूलन भी वेदों के माध्यम से ही संभव है। उनका मानना है कि वेदों के ज्ञान से चारित्रिक, आत्मिक और शारीरिक उन्नति होती है। 

इन स्थानों पर कर चुके वेदों का प्रचार
श्याम नरायन शास्त्री बताते हैं कि भ्रमण के क्रम में जो भी वेदों के ज्ञान से प्रभावित होता है, वह हमें निमंत्रण भेजता है। अब तक वे गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, सुल्तानपुर, फैजाबाद, बस्ती, संतकबीरनगर, पडरौना, गोरखपुर आदि स्थानों तक वेदों का प्रसार कार्य कर चुके हैं।    

अध्यात्म की पहली पाठशाला 
उन्होंने कहा, "क्योंकि मेरा नाम ही श्याम है तो प्रभु कृष्ण के प्रेम दीवानी मीरा जैसी भक्ति का उदय इनके दिल में घर कर गया। इसी कारण पढाई अधूरी छोड यह आध्यात्म की दिशा के लिए गोरखनाथ मंदिर को अपनी प्रथम पाठशाला बना लिया।" 

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22 जनवरी को नेपाल से मिला निमंत्रण 
श्याम नरायन शास्त्री अभी कैंपियरगंज के रामचोरा से वेदों का प्रसार कार्य कर अपने निवास पहुंचे हैं। 22 जनवरी को इन्हें नेपाल के रूपईडीहा बार्डर स्थित नेपालगंज में वेदों के माध्यम से एक दंपत्ति का विवाह कराने का निमंत्रण मिला है। 










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