सिद्धरमैया ने मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल न होने के कांग्रेस नेतृत्व के रुख को सही कहा
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होने के कांग्रेस आलाकमान के फैसले का समर्थन करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि भाजपा ने एक धार्मिक कार्यक्रम को राजनीतिक कार्यक्रम में बदल दिया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होने के कांग्रेस आलाकमान के फैसले का समर्थन करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि भाजपा ने एक धार्मिक कार्यक्रम को राजनीतिक कार्यक्रम में बदल दिया है।
एक बयान में मुख्यमंत्री ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर धार्मिक कार्यक्रम को पार्टी कार्यक्रम में बदलने का आरोप लगाया, जिससे 140 करोड़ भारतीयों का अपमान हुआ।
उन्होंने राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव के कथित बयान की भी आलोचना की जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि राम मंदिर पर शैव और शाक्तों का कोई अधिकार नहीं है। सिद्धरमैया ने कहा कि चार शंकराचार्यों ने ‘‘राजनीति के लिए राम मंदिर के दुरुपयोग के विरोध में’’ मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का बहिष्कार किया है।
सिद्धरमैया ने ‘एक्स’ पर एक बयान में कहा, ‘‘कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, हमारी पार्टी की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे। उनका फैसला सही है। मैं इस फैसले का समर्थन करता हूं।’’
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उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और संघ परिवार के नेताओं पर एक धार्मिक आयोजन का राजनीतिकरण करके भगवान राम और देश के 140 करोड़ लोगों का ‘अपमान’ करने का भी आरोप लगाया। सिद्धरमैया ने आरोप लगाया, ‘‘यह सभी हिंदुओं के साथ विश्वासघात है कि एक धार्मिक कार्यक्रम, जिसे भक्तिभाव से आयोजित किया जाना चाहिए था, उसे राजनीतिक प्रचार में बदल दिया गया है।’’
मुख्यमंत्री ने रेखांकित किया कि कांग्रेस पार्टी राम जन्मभूमि विवाद शुरू होने के दिन से ही अपने रुख पर कायम है। राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘इससे विवाद खड़ा हो गया है। अगर यह सच है तो यह सभी शैव लोगों का अपमान है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता में 10 साल पूरा करने जा रहे प्रधानमंत्री को मतदाताओं के सामने अपनी उपलब्धियां बताकर चुनाव जीतने का आत्मविश्वास नहीं है। सिद्धरमैया ने कहा कि इसी कारण से, लोकसभा चुनाव से पहले वह जल्दबाजी में राम मंदिर का उद्घाटन कर रहे हैं, जिसका काम अभी पूरा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से प्रधानमंत्री ने हिंदुत्व लहर पैदा करने का प्रयास करके अपनी विफलता को छिपाने की कोशिश की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की जनता भाजपा और संघ परिवार की राजनीति को गंभीरता से देख रही है और कभी भी उनके जाल में नहीं फंसेगी। उन्होंने कहा, ‘‘लोगों ने ईंट के नाम पर एकत्र किए गए दान का हिसाब मांगना शुरू कर दिया है।’’
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कांग्रेस हिंदू धर्म के खिलाफ नहीं है, यह उल्लेख करते हुए सिद्धरमैया ने कहा कि उनकी पार्टी छुआछूत, जातिवाद, कट्टरता और धर्म के नाम पर भ्रष्टाचार के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही, पार्टी राजनीति के लिए धर्म का इस्तेमाल करने के भी पूरी तरह से खिलाफ है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उन्होंने कहा, ‘‘हमें हिंदू धर्म से कोई समस्या नहीं है, जिसका पालन महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, कनकदास, नारायण गुरु, कुवेम्पु सहित देश के कई गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया, लेकिन हम भाजपा और संघ परिवार के पाखंडी हिंदुत्व का विरोध करना जारी रखे हैं, जो राजनीतिक लाभ के लिए धर्म का इस्तेमाल करते हैं।’’