स्पेसएक्स ने इतिहास के सबसे ताकतवर रॉकेट का दुखांत, उड़ान भरने के बाद धमका, जानिये पूरा अपडेट

डीएन ब्यूरो

स्पेसएक्स का रॉकेट स्टारशिप मेक्सिको की खाड़ी में 20 अप्रैल 2023 को उड़ान भरने के तीन मिनट के भीतर धमाके के साथ गिर गया। रॉकेट के दुखांत के बावजूद स्पेसएक्स इसे सफल करार दे रहा है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

एयर विश्वविद्यालय
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इस्लामाबाद: स्पेसएक्स का रॉकेट स्टारशिप मेक्सिको की खाड़ी में 20 अप्रैल 2023 को उड़ान भरने के तीन मिनट के भीतर धमाके के साथ गिर गया। रॉकेट के दुखांत के बावजूद स्पेसएक्स इसे सफल करार दे रहा है।

अंतरिक्ष विशेषज्ञ के नाते मैं रॉकेट में धमाका होने के बाद स्पेसएक्स द्वारा इस ‘‘त्वरित अनिर्धारित विखंडन’’ को बहुत सफल असफलता करार दिए जाने से सहमत हूं।

यह अब तक का सबसे शक्तिशली रॉकेट था। यह स्पेसएक्स के नए स्टारशिप का पहला पूरी तरह से एकीकृत प्रक्षेपण है।

स्टारशिप अब तक डिजाइन किया गया सबसे शक्तिशाली रॉकेट है और इसे दोबारा इस्तेमाल करने के लिए बनाया गया है। यह दो हिस्सों या धड़ों में बना है। पहले हिस्से को ‘सुपर हेवी’ कहते हैं जो 33 अलग-अलग इंजन का संकेंद्रण है जो सैटर्न से दोगुना बल प्रदान करता है। उल्लेखनीय है कि सैटर्न का इस्तेमाल 1960 और 1970 के दशक में अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने के लिए किया गया था।

पहला स्तर या चरण ‘सुपर हैवी’ रॉकेट को धरती से करीब 65 किलोमीटर की ऊचांई पर भेजने के लिए डिजाइन किया गया है। एक बार ‘सुपर हैवी’ अपना काम पूरा करने के बाद, बाकी यान से अलग हो जाता है और सुरक्षित धरती पर लौट आता है। यह वही समय होता है जब दूसरा चरण जिसे स्टारशिप अंतरिक्ष यान कहते हैं अपना इंजन चालू करता है, इसी स्तर में ‘पेलोड’ (जिसे अंतरिक्ष में स्थापित करना होता है) होता है जो अंतरिक्ष यात्री, उपग्रह या कुछ और हो सकता है।

स्टारशिप के विभिन्न हिस्सों का पूर्व में परीक्षण किया गया था लेकिन 20 अप्रैल 2023 को स्टारशिप का पहला एकीकृत परीक्षण था जिसमें स्टारशिप अंतरिक्ष यान, सुपर हैवी रॉकेट के ऊपर स्थापित किया गया था। अगर यह सफल होता तो पहला चरण होने के बाद यह हिस्सा ऊपरी हिस्से से अलग होकर मेक्सिको की खाड़ी में गिरता। वहीं, स्टारशिप अपनी यात्रा जारी रखता और हवाई के तट से करीब 250 किलोमीटर दूर समुद्र में गिरता।

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स्पेएक्स के सीधे प्रसारण के दौरान टीम ने बताया कि इस परीक्षण का प्राथमिक उद्देश्य रॉकेट को लांच पैड से रवाना करना है। स्टारशिप ने करीब तीन मिनट तक उड़ान भरी और उस चरण तक पहुंचा जिसे इंजीनियर ‘मैक्स क्यू’ कहते हैं। इस चरण में रॉकेट गति और वायु प्रतिरोध की वजह से सबसे अधिक भौतिक दबाव का सामना करता है।

स्पेसएक्स के मुताबिक, परीक्षण के दौरान कुछ गलतियां हुईं। पहला, कई इंजन हैवी रॉकेट के स्टारशिप अंतरिक्ष यान से अलग होने से पहले ही बंद हो गए। दोनों हिस्से तय समय पर अलग होने में भी असफल रहे और एक-दूसरे से जुड़े रहे जिसकी वजह से रॉकेट नीचे आने लगा। हालांकि, अब तक स्पष्ट नहीं है कि इस असफलता का क्या कारण था।

स्टारशिप करीब 400 फुट लंबा और वजन करीब 49 लाख किलोग्राम था। अनियंत्रित रॉकेट में बहुत ही ज्वलनशील पदार्थ था और यह बहुत खतरनाक हो गया था। ऐसे में किसी नुकसान से बचने के लिए स्पेसएक्स के इंजीनियरों ने स्व-विनाश प्रणाली का इस्तेमाल किया और पूरे रॉकेट को मेक्सिको की खाड़ी में गिराने में सफल रहे।

सभी आधुनिक रॉकेटों में यह प्रणाली बनी होती है ताकि इंजीनियर जरूरत पड़ने पर उसे नष्ट कर सके। स्पेसएक्स ने स्वयं अपने कई रॉकेट को परीक्षण के दौरान नष्ट किए हैं।

सफलता या असफलता

अंतरिक्ष विज्ञान कठिन है और नए रॉकेट में समस्या आना कोई असमान्य बात नहीं है। पूर्व के वर्षों में भी दक्षिण कोरिया और जापान ने नए रॉकेट प्रक्षेपित करने की कोशिश की है जो कक्षा में पहुंचने में असफल रहे।

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वाणिज्यिक कंपनियां जैसे वर्जिन ऑर्बिट और रीलेटिविटी स्पेस के रॉकेट भी हाल के वर्षों में असफल रहे हैं।

स्पेसएक्स का परीक्षण अन्य समूहों से अलग था। कंपनी का विचार रहा है कि जल्द असफल हो, समस्या का पता लगाओ और अगले रॉकेट में उस गलती को ठीक करो। यह पारंपरिक रुख से अलग है जिसका अनुपालन नासा जैसे संगठन करते हैं। नासा संभावित समस्या का पता लगाने के लिए प्रक्षेपण से पहले समय लेता है और योजना बनाता है।

स्पेसएक्स का तरीका कंपनी को तेजी बढ़ने में मदद करता है लेकिन यह रॉकेट निर्माण में लगने वाले समय और संसाधान के मामले में महंगा हो सकता है।

स्पेसएक्स के इंजीनियर समस्या का पता लगाकर अगले प्रक्षेपण से पहले उनका समाधान करेंगे। इस रुख के मद्देनजर पहले स्टारशिप का परीक्षण सफल असफलता रही जो स्पेसएक्स को अंतत: अंतरिक्ष यात्रियों को मंगल पर भेजने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगी।










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