Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजीव खन्ना बोले, स्वच्छ भारत अभियान को सामाजिक आंदोलन के रूप में लिया जाना चाहिए

डीएन ब्यूरो

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने सोमवार को कहा कि 2014 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर शुरू किए गए 'स्वच्छ भारत अभियान' को एक 'सामाजिक आंदोलन' के रूप में लिया जाना चाहिए, क्योंकि एक साफ और स्वच्छ भारत 'स्वस्थ एवं खुशहाल' होगा। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना


नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने सोमवार को कहा कि 2014 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर शुरू किए गए 'स्वच्छ भारत अभियान' को एक 'सामाजिक आंदोलन' के रूप में लिया जाना चाहिए, क्योंकि एक साफ और स्वच्छ भारत 'स्वस्थ एवं खुशहाल' होगा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार न्यायमूर्ति खन्ना सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाने के लिए शीर्ष अदालत के परिसर में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने महात्मा गांधी की जयंती पर 'स्वच्छ भारत अभियान' शुरू किया। यह एक सामाजिक आंदोलन है और इसे सामाजिक आंदोलन के रूप में लेना होगा। जब तक इसे एक सामाजिक आंदोलन के रूप में नहीं लिया जाएगा, तब तक यह अपने लक्ष्य एवं उद्देश्यों को प्राप्त नहीं कर पाएगा।’’

न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, ‘‘साफ और स्वच्छ भारत, स्वस्थ एवं खुशहाल होगा।’’

यह भी पढ़ें | Supreme Court: युवा कांग्रेस अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास के लिए राहत, सुप्रीम कोर्ट ने दी अग्रिम जमानत

उन्होंने कहा कि कुछ लोग अपने शब्दों और कार्यों से अमर हो जाते हैं।

न्यायमूर्ति खन्ना ने गांधी के दर्शन के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित किया, जिनमें अहिंसा, सत्याग्रह, सामाजिक एवं सांप्रदायिक सद्भाव के लिए उपवास, किसी के प्रति दुर्भावना न रखना और जीवन में सादगी अपनाना शामिल है।

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी को दुनियाभर में सम्मान दिया जाता है और राष्ट्रपिता के लिए सच्ची श्रद्धांजलि उनके शब्दों को आत्मसात करना तथा उनके विचारों को जीवन का हिस्सा बनाना है।

न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, ‘‘जैसा कि उन्होंने (गांधी ने) एक बार कहा था, अपने विचारों को ध्यान से देखें, क्योंकि वे आपके शब्द बन जाते हैं। अपने शब्दों को प्रबंधित करें और उन पर नजर रखें, क्योंकि वे आपके कार्य में झलकते हैं। अपने कार्यों पर विचार करें और उनका मूल्यांकन करें, क्योंकि वे आपकी आदत बन जाते हैं। अपनी आदतों को स्वीकार करें और उन पर नजर रखें, क्योंकि वे आपके मूल्य बन जाएंगी। अपने मूल्यों को समझें और अपनाएं, क्योंकि वे आपकी नियति बन जाते हैं।’’

यह भी पढ़ें | न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने कहा,न्यायपालिका को संविधान की व्याख्या करने की अनुमति दी जानी चाहिए

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के योगदान का जिक्र करते हुए शीर्ष अदालत के न्यायाधीश ने कहा कि वह ‘‘एक सच्चे गांधीवादी’’ थे, जो अपने शब्दों और विचारों के अनुसार जीते थे।

न्यायमूर्ति खन्ना ने उन कठिन परिस्थितियों पर प्रकाश डाला, जिसमें शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। उन्होंने कहा कि शास्त्री देश के प्रति निस्वार्थ समर्पण रखते हुए ईमानदार और विनम्र बने रहे।










संबंधित समाचार