विपक्षी सांसदों का निलंबन ‘लोकतंत्र का मजाक’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संसद से विपक्षी सदस्यों के निलंबन की कार्रवाई को लोकतंत्र का ‘‘मजाक’’ बताते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ‘‘डरी’’ हुई है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संसद से विपक्षी सदस्यों के निलंबन की कार्रवाई को लोकतंत्र का ‘‘मजाक’’ बताते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ‘‘डरी’’ हुई है।
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) और जनता दल (यूनाइटेड) सहित अन्य विपक्षी दलों के 78 सदस्यों को अनुचित व्यवहार और संसद की सुरक्षा में चूक को लेकर तख्तियां दिखाने और नारे लगाने के लिए सोमवार को राज्यसभा और लोकसभा से निलंबित कर दिया गया। इससे पहले संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में 14 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार टीएमसी प्रमुख ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वे विपक्ष के सभी सदस्यों को संसद से निलंबित कर सकते हैं और फिर ‘‘लोकतंत्र का मजाक’’ बना सकते हैं। बनर्जी ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा, ‘‘उन्होंने इतने सारे सांसदों को निलंबित क्यों किया? क्या आपको नहीं लगता है कि उन्होंने दो राज्य जीते इसलिए वे इतने अहंकारी हो गए हैं?’’
भाजपा ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हाल के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को हराकर जीत हासिल की है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘सौगत रे (टीएमसी के लोकसभा सदस्य) देश के वरिष्ठ नेता हैं। वह भी निलंबित सांसदों में से हैं। सभी को निलंबित किया जा रहा है...वे किसी भी अनुचित चीज के लिए एक या दो सांसदों को निलंबित कर सकते हैं। यदि वे सामूहिक रूप से सदस्यों को निलंबित करते हैं...तो सदन को ही निलंबित कर देना चाहिए।’’
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बनर्जी ने कहा, ‘‘सदन सर्वोच्च है...अगर उनके (भाजपा) पास बहुमत है, तो वे इतने डरे हुए क्यों हैं? वे सभी विधेयकों को ध्वनि मत से पारित कर रहे हैं। वे सभी सदस्यों को निलंबित कर देते हैं, वे अपनी आवाज कैसे उठा पाएंगे?’’
बनर्जी की पार्टी विपक्षी गठबंधन ‘‘इंडिया’’ का हिस्सा है, जिसके घटक दलों में कांग्रेस, द्रमुक, जद(यू) और राष्ट्रीय जनता दल शामिल हैं।
आगामी लोकसभा चुनावों का जिक्र करते हुए, बनर्जी ने यह भी सवाल किया कि सरकार भारतीय दंड संहिता, 1860, दंड प्रक्रिया संहिता अधिनियम, 1898 और साक्ष्य अधिनियम, 1872 को बदलने के लिए तीन विधेयकों को क्यों आगे बढ़ा रही है, जबकि वर्तमान सरकार का कार्यकाल अगले तीन से चार महीनों में समाप्त हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने सवाल किया, ‘‘वे तीन महत्वपूर्ण विधेयक पारित कर रहे हैं... चुनाव केवल तीन से चार महीने दूर है। वे अभी निर्णय क्यों लेना चाहते हैं?’’
भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम विधेयक औपनिवेशिक युग के तीन आपराधिक कानूनों की जगह लेंगे।
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भाजपा पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘वे डरे हुए हैं। लोगों की आवाज को पूरी तरह से दबा दिया गया है। उन्हें सदन को निलंबित करने दीजिए। उनके पास सदन चलाने का कोई नैतिक आधार नहीं है। वे विपक्ष को पूरी तरह से निलंबित या निष्कासित कर देंगे और सदन चलाएंगे। यह लोकतंत्र का मजाक है।’’
‘‘धन लेकर सवाल पूछने’’ के मामले में टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित किए जाने पर बनर्जी ने कहा कि ‘‘यह बहुत बुरा मामला है।’’ टीएमसी प्रमुख ने कहा, ‘‘उन्हें अपना बचाव करने की अनुमति नहीं दी गई। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।’’
संसद की सुरक्षा में 13 दिसंबर को सेंध लगने की घटना का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने यह भी सवाल किया कि भाजपा सांसद के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई, जिन्होंने दर्शक दीर्घा से लोकसभा कक्ष में कूदने वाले कम से कम एक व्यक्ति के लिए पास का इंतजाम किया था।
विपक्षी दलों ने निलंबन की यह कहते हुए आलोचना की है कि भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जिन्होंने अपने साथ धुएं का डिब्बा ले जाने वाले दो आरोपियों को पास दिलाने में मदद की, जबकि उनके सदस्यों को इस मुद्दे को उठाने के लिए निलंबित कर दिया गया।