हाई कोर्ट ने की राज्य सरकार की खिंचाई, पर्याप्त जानकारी लिए बिना कर डाला ये काम, जानिये पूरा मामला
मेघालय उच्च न्यायालय ने यह पता लगाए बिना राज्य में भूमि सीमा शुल्क स्टेशन के माध्यम से कोयले के निर्यात की अनुमति देने पर राज्य सरकार की खिंचाई की है कि यह कोयला कहां से लाया गया था। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
शिलांग: मेघालय उच्च न्यायालय ने यह पता लगाए बिना राज्य में भूमि सीमा शुल्क स्टेशन के माध्यम से कोयले के निर्यात की अनुमति देने पर राज्य सरकार की खिंचाई की है कि यह कोयला कहां से लाया गया था।
मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति डब्ल्यू डेंगदोह की खंडपीठ ने सी एम संगमा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘यह चिंताजनक है कि केंद्रीय एजेंसियों के अनुरोध के अभिप्राय को समझने के बावजूद, राज्य ने ढुलमुल रवैया अपनाया और राज्य के भीतर भूमि सीमा शुल्क स्टेशन के माध्यम से निर्यात के लिए हजारों टन कोयले की निकासी की जाहिर तौर पर यह पता लगाए बिना ही अनुमति दे दी कि इसे लाया कहां से गया है।’’
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उच्च न्यायालय ने कहा कि अवैध खनन के जरिए प्राप्त किए गए कोयले की अवैध ढुलाई के संबंध में इस अदालत में स्वत: संज्ञान के जरिए कार्यवाही किए जाने से पहले केंद्रीय एजेंसी और केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने राज्य को कई पत्र भेजे थे।
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पीठ ने कहा, ‘‘राज्य ने कोई कदम नहीं उठाया और अदालत से इन पत्रों को सक्रिय रूप से छुपाया...।’’
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘कोयले के अवैध खनन और इसकी अवैध ढुलाई में सक्रिय माफिया और चल रहे रैकेट के साथ मिलीभगत स्पष्ट है और इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रशासन में उच्च पद पर आसीन लोग अवैध लाभ हासिल कर रहे हैं और वे राज्य के राजस्व को हुए भारी नुकसान के लिए जिम्मेदार है।’’
अदालत ने कहा कि कोयले के अवैध खनन को लेकर स्वत: संज्ञान के तहत कार्यवाही मार्च 2022 में या उसके आसपास शुरू की गई थी और इस तरह के अवैध खनन के जरिए निकाले गए कोयले की अवैध ढुलाई से संबंधित मामलों पर अप्रैल, 2022 या उसके आसपास कई आदेशों में बात की गई है।
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उसने कहा कि राज्य को कोयला ले जा रहे हर ट्रक की जांच करनी चाहिए थी और कोयला निर्यात करने की मंजूरी मांगने संबंधी अनुरोधों की पुष्टि करनी चाहिए थी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस कोयले को कहां से लाया गया है और इच्छुक निर्यातकों द्वारा दी गई जानकारियां कितनी सही हैं।