विधानसभा में उठा बेमौसम बारिश का मामला, किसानों के लिये उठाई गईं ये मांगे
महाराष्ट्र विधानसभा में बृहस्पतिवार को विपक्ष ने राज्य सरकार से उन किसानों को तत्काल राहत प्रदान करने की मांग की, जिनकी फसल इस सप्ताह की शुरुआत में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण नष्ट हो गई है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा में बृहस्पतिवार को विपक्ष ने राज्य सरकार से उन किसानों को तत्काल राहत प्रदान करने की मांग की, जिनकी फसल इस सप्ताह की शुरुआत में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण नष्ट हो गई है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार कांग्रेस के विधायक नाना पटोले ने इस मुद्दे पर कार्यस्थगन प्रस्ताव पेश किया, जिसे विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने खारिज कर दिया। इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने सदन में हंगामा शुरू कर दिया।
नार्वेकर ने कहा कि इस मुद्दे पर शुक्रवार को चर्चा की जाएगी। उन्होंने विधायकों से प्रश्नकाल जारी रहने देने का अनुरोध किया।
नाना पटोले अड़े रहे और नेता प्रतिपक्ष अजित पवार व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के विधायक छगन भुजबल तथा कांग्रेस के बालासाहेब थोराट ने उनका समर्थन किया।
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भुजबल ने कहा कि किसानों को राहत प्रदान करने से अधिक महत्वपूर्ण और कुछ नहीं हो सकता। उन्होंने इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा की मांग की।
कुछ विपक्षी विधायक अध्यक्ष के आसन के करीब पहुंच गए और राज्य सरकार के खिलाफ नारे लगाने लगे। नेता प्रतिपक्ष पवार ने परेशान किसानों को राहत मुहैया नहीं कराने के लिए सरकार की आलोचना की।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि उनकी सरकार किसानों को कभी भी मंझधार में नहीं छोड़ेगी। उन्होंने कहा कि युद्ध स्तर पर पंचनामा करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने विपक्ष से इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करने का अनुरोध किया।
प्रश्नकाल के दौरान भी विपक्षी विधायक नारे लगाते रहे।
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नेता प्रतिपक्ष पवार ने कहा कि कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार के निर्वाचन क्षेत्र (औरंगाबाद में सिल्लोड) में किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
उन्होंने पूछा कि अगर संकट में फंसे लोगों को राहत नहीं मिली तो प्रश्नकाल का क्या महत्व है? उन्होंने आरोप लगाया कि नेफेड (भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ मर्यादित) ने अभी तक प्याज की खरीद नहीं की है और राज्य सरकार जो कहती है उसे लागू नहीं किया जा रहा है। बाद में पवार के नेतृत्व में विपक्ष ने शिंदे सरकार को किसान विरोधी बताते हुए सदन से बहिर्गमन किया।