स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर कम किया जा सकता है हृदय रोग के खतरा, पढ़ें ये खास रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

ज्यादातर लोग जानते हैं कि हृदय रोग के जोखिम वाले कारकों में उच्च रक्तचाप, धूम्रपान, बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल और अधिक वजन शामिल हैं। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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न्यूयॉर्क: ज्यादातर लोग जानते हैं कि हृदय रोग के जोखिम वाले कारकों में उच्च रक्तचाप, धूम्रपान, बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल और अधिक वजन शामिल हैं। जिन लोगों को हालांकि दिल का दौरा पड़ता है उनमें इनमें से कोई भी पारंपरिक जोखिम कारक नहीं होता ।

एक शोध के अनुसार वात रोग , सोरायसिस, सूजन आंत्र रोग और संधिशोथ (गठिया) जैसी स्थितियां भी हृदय रोग के जोखिम वाले कारक हैं।

एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर हालांकि हम सभी, हृदय रोग होने के खतरे को कम कर सकते हैं और अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं।

सोरायसिस लम्बे समय तक रहने वाली त्वचा की एक बीमारी है जबकि संधिशोथ में शरीर की हड्डियों के जोड़ों में दर्द होता है।

वास्तव में, कुछ शोधकर्ताओं ने हृदय रोग को धमनियों की बीमारी के रूप में बताया है। वैज्ञानिक कभी-कभी इसे एथेरोस्क्लेरोटिक हृदय रोग (एएससीवीडी) की सूजन के रूप में बताते हैं।

एएससीवीडी दिल के दौरे का कारण बन सकता है, जहां हृदय में पर्याप्त रक्त की आपूर्ति नहीं होती । यह समझने के लिए कि एएससीवीडी एक भयानक स्थिति क्यों है, हमें यह विचार करने की आवश्यकता है कि यह प्रक्रिया कैसे शुरू होती है।

एथेरोस्क्लेरोसिस के उभरने के पहले चरण को ‘एंडोथेलियम’ में चोट का कुछ रूप माना जाता है। एंडोथेलियल कोशिकाओं की एक परत है जो धमनियों को रेखाबद्ध करती है।

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सिगरेट में मौजूद विषाक्त पदार्थ धमनियों की परत को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं और इस प्रारंभिक चोट का कारण बन सकते हैं। जो लोग धमनियों में पुरानी सूजन की स्थिति से पीड़ित हैं, उनमें हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।

दिल का दौरा तब पड़ता है, जब हृदय धमनी में पट्टिका अस्थिर हो जाती है। इससे पट्टिका फट सकती है, जिससे धमनी में थक्का बन सकता है और हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति बाधित हो सकती है।

शरीर में सूजन को मापने का एक तरीका है। ऐसा करने का एक तरीका ‘हाई-सेंसिटिविटी सी-रिएक्टिव प्रोटीन’ (एचएस-सीआरपी) नामक रक्त जांच है।

कई अध्ययनों के अनुसार जिन लोगों में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और एचएस-सीआरपी दोनों का उच्च स्तर होता है, उनमें हृदय रोग का खतरा सबसे अधिक होता है।

‘कैंटोस’ नामक एक बड़े क्लीनिकल परीक्षण के जरिये उन रोगियों का इलाज किया गया जिन्हें दिल का दौरा पड़ा था और एचएस-सीआरपी का उच्च स्तर था। इसके लिए कैनाकिनुमाब नामक दवा का इस्तेमाल किया गया।

इस दवा के इस्तेमाल ने एचएस-सीआरपी के स्तर को कम कर दिया। दुर्भाग्य से, दवा प्राप्त करने वाले समूह में संक्रमण का खतरा भी बढ़ गया।

इस दवा के इस्तेमाल का मतलब यह नहीं है कि हम जल्द ही एएससीवीडी के इलाज के लिए कैनाकिनुमाब का इस्तेमाल शुरू करने जा रहे हैं।

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हालांकि, इस अध्ययन को महत्वपूर्ण माना गया क्योंकि इसने इस परिकल्पना का समर्थन किया कि एएससीवीडी में सूजन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, और सूजन को लक्षित करना हृदय संबंधी रोगों के जोखिम को कम करने के लिए उपयोगी हो सकता है।

एएससीवीडी के लिए जोखिम कारकों के बारे में जानकर हम उन रोगियों की बेहतर पहचान कर सकते हैं जिन्हें दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा है।

जीवनशैली में बदलाव लाकर भी सूजन को कम किया जा सकता है।

सिगरेट में विषाक्त पदार्थ से शरीर को नुकसान होता है। रक्त में कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर और अति-संसाधित (अल्ट्रा -प्रोसेस्ड) खाद्य पदार्थों से भरपूर आहार भी हमारी धमनियों में सूजन पैदा कर सकता है।

व्यायाम शरीर में सूजन के स्तर को भी कम करता है। तनाव से भी हृदय रोगों का खतरा रहता है इसलिए तनाव से बचकर हम इस खतरे को कम कर सकते हैं।










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