Manipur Violence Update: हिंसाग्रस्त मणिपुर की फिजाओं में अब भी खौफ, आम जनजीवन पटरी पर लौटने को आतुर, जानिये ताजा स्थिति
मणिपुर के हिंसा प्रभावित हिस्सों में रविवार सुबह कर्फ्यू में कुछ घंटों की ढील दिए जाने के साथ ही आम जनजीवन पटरी पर लौटने को आतुर दिखाई दिया। वहीं, सेना के ड्रोन और होलीकॉप्टर हवा में गश्त लगाकर क्षेत्र पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में जानिये मणिपुर की ताजा स्थिति के बारे में
इंफाल: आरक्षण की चिंगारी से भड़की आग के बाद मणिपुर लगातार झुलस रहा है। पुलिस और सेना के पहरे के बाद हिंसा की आग भले ही ठंडी पड़ने लगी हो लेकिन यहां की शांत वादियों में अब भी तपन है और लोग दहशत में जी रहे है। आम जनजीवन पटरी पर पर लौटने को आतुर दिखाई दे रहा है। ड्रोन और होलीकॉप्टर से लगातार हवाई निगरानी की जा रही है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक हिंसा के कारण अब तक लगभग पांच दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है। मृतकों की वास्तविक संख्या इस आंकड़े से अधिक हो सकती है। 150 से अधिक लोग अब भी घायल है जबकि सैकड़ों लोग प्रभावित है। डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में पढ़िये हिंसाग्रस्त मणिपुर की ताजा स्थिति के बारे में
कर्फ्यू में ढील लेकिन खौफ बरकरार
मणिपुर के हिंसा प्रभावित हिस्सों में रविवार सुबह कर्फ्यू में कुछ घंटों की ढील दिए जाने के साथ ही आम जनजीवन पटरी पर लौटता दिखाई दिया लेकिन कुछ लोगों के चेहरों पर अब भी खौफ बरकरार है। वहीं, सेना के ड्रोन और होलीकॉप्टर हवा में गश्त लगाकर क्षेत्र पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। हिंसा प्रभावित चुराचांदपुर इलाके में सुबह सात से 10 बजे के बीच कर्फ्यू में ढील दी गई और इस दौरान खाद्य पदार्थ, दवाइयां व अन्य जरूरी सामान खरीदने के लिए लोग बड़ी संख्या में घरों से बाहर निकले।
10,000 से अधिक जवानों की तैनाती
अधिकारियों के मुताबिक, सुबह 10 बजे कर्फ्यू में ढील की मियाद खत्म होने के बाद सेना और असम राइफल्स के जवानों ने शहर में फ्लैग मार्च किया। हिंसा प्रभावित राज्य में सेना के 120 से 125 ‘कॉलम’ की तैनाती की गई है। मणिपुर में अर्धसैनिक बलों और केंद्रीय पुलिस बलों के करीब 10,000 से अधिक जवानों को भी तैनात किया गया है।
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हजारों लोगों को बचाया गया
मणिपुर में अब तक विभिन्न समुदायों के लगभग 23,000 लोगों को बचाकर सैन्य छावनियों में स्थानांतरित किया गया है। लोगों को भोजन-दवाइयां और जरूरी चीजें उपलब्ध कराई जा रही है।
शांति की अपील
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि शांति संबंधी पहल को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए हर विधानसभा क्षेत्र में शांति समितियों का गठन किया जाएगा। वे लगातार शांति की अपील कर रहे हैं। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने शनिवार रात अधिसूचना की प्रति साझा करते हुए ट्वीट किया, “चुराचांदपुर जिले में कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार होने और राज्य सरकार और विभिन्न हितधारकों के बीच बातचीत के बाद, मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि कर्फ्यू में आंशिक रूप से ढील दी जाएगी।”
तोरबंग क्षेत्र से फूटी थी हिंसा की चिंगारी
गौरतलब है कि मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से बुधवार को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी।
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हिंसा का कारण
नगा और कुकी सहित अन्य आदिवासी समुदायों की ओर से इस मार्च का आयोजन मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा पिछले महीने राज्य सरकार को मेइती समुदाय की एसटी दर्जे की मांग पर चार सप्ताह के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजने का निर्देश देने के बाद किया गया था।पुलिस के मुताबिक, तोरबंग में मार्च के दौरान हथियार थामे लोगों की भीड़ ने कथित तौर पर मेइती समुदाय के सदस्यों पर हमला किया। मेइती समुदाय के लोगों ने भी जवाबी हमले किए, जिससे पूरे राज्य में हिंसा फैल गई।
मेइती समुदाय की 53 फीसदी हिस्सेदारी
मणिपुर की कुल आबादी में मेइती समुदाय की 53 फीसदी हिस्सेदारी होने का अनुमान है। इस समुदाय के लोग मुख्यत: इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी सहित अन्य आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत के करीब है तथा वे मुख्यत: इंफाल घाटी के आसपास स्थित पहाड़ी जिलों में रहते हैं।