सिसवा का ये फायर स्टेशन अपनी बदहाली पर बहा रहा आंसू, फायरमैन कर्मियों के आवास भी जर्जर
गांवों को आग से बचाने को लेकर हमेशा तत्पर रहने वाले फायर स्टेशन पर तैनात फायरमैन कर्मी आज खुद सरकारी सुविधाओं से वचिंत है। फायर स्टेशन परिसर में बने आवासीय भवन लबें समय से जर्जर की स्थिति में है। यहां खतरे में रह रहे इन फायर कर्मीयों का कोई सुध लेने वाला नही है। पूरी खबर पढ़ें डाइनामाइट न्यूज पर।
सिसवा बाजार/महराजगंज: गांवों को आग से बचाने को लेकर हमेशा तत्पर रहने वाले फायर स्टेशन पर तैनात फायरमैन कर्मी आज खुद सरकारी सुविधाओं से वंचित है। फायर स्टेशन परिसर में बने आवासीय भवन लंबे समय से जर्जर की स्थिति में है। यहां खतरे में रह रहे इन फायर कर्मीयों का कोई सुध लेने वाला नही है।
नगरपालिका सिसवा कस्बे के वार्ड नम्बर 16 सरदार पटेल नगर के सबया में स्थापित फायर स्टेशन सरकारी उपेक्षा के चलते अपनी ही बदहाली पर आसूं बहा रहा है। लगभग 30 साल पहले स्थापित सबया फायर स्टेशन पर सिसवा और निचलौल ब्लॉक के लगभग तीन सौ गांवों को आग से बचाने का जिम्मा है।
फायर स्टेशन पर तैनात फायर मैनों के लिए बनी आवासीय भवन बदहाल है और वह अपनी ही सुरक्षा के लिये तरस रही है। टूटा हुआ छत विभाग के ऊपर पड़े बोझ को बयां करता है और पेड़ों के ऊपर लटकता नंगा तार तमाम अधिकारियों की पोल खोलता हुआ नजर आता है।
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ऐसे में अंधिकाश कर्मचारी किराये के मकान में रहने को मजबूर। यहां कुल 14 कर्मचारी है, जिसमें दो दीवान, 10 फायरमैन, एक रसोइया, व एक चालक की तैनाती है। परिसर में बना शौचालय की व्यवस्था भी सबसे घटिया स्तर पर पहुंच चुकी है।
निर्माण के दशकों बाद मरम्मत और देख-रेख के अभाव में आवास जर्जर हो चुके हैं। देखने में खंडहर जैसे प्रतीत होते इन आवासों में रहना जोखिम भरा है। लेकिन इसके बावजूद कोई अन्य विकल्प न होने से कर्मचारी मजबूर हैं। फायर स्टेशन में तैनात दीवान बैजनाथ यादव ने कहा कि जर्जर भवन पिछले 7 वर्षों से बदहाली की स्थिति में है। जिसके कारण काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, कई बार प्रस्ताव भेजा गया है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है ऐसे में विवश होने के सिवा कोई और रास्ता नहीं है।
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क्या बोले फायर मैनकर्मी
दिन भर आगजनी जैसे खतरों से खेलने के बाद रात में चैन की नींद के लिए आवास पर पहुंचने वाले कर्मचारियों के मन में हर समय भय बना रहता है कि कहीं आवास धराशाई ना हो जाए। हल्की सी बरसात में ही छत टपकने लगती है। पूरा परिसर पानी से भर जाता है। ऐसे समय में आवासों से निकलना भी दुश्वार रहता है। आवास में रह रहे कर्मीयों का कहना है कि जर्जर आवासों के कारण बराबर खतरा बना रहता है।
बरसात में झेलनी पड़ती है सांसत
सबया में स्थित अग्निशमन केंद्र पर तैनात कर्मीयों ने डाइनामाइट न्यूज के बातचीत में बताया कि बरसात के मौसम में बहुत ही कठनाइयों का सामना पड़ता है। बरसात आते ही छत टपकने लगता है। साथ ही परिसर में पानी लग जाता है। जिससे आने जाने में काफी समस्या झेलनी पड़ती है। आए दिन कीड़े मकोड़े भी निकलते रहते है। जिससे जानमाल का खतरा बना रहता है।