गांधी शांति पुरस्कार के लिए नामित गीता प्रेस गोरखपुर से जुड़ी ये सुनहरी याद, जानिये कैसे खत्म हुई थी 2015-16 की हड़ताल
गीता प्रेस गोरखपुर को वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार देने के लिए नामित किया गया है। इस खास मौके पर गीता प्रेस के उस समय की यादें ताजा हो गई, जब 2016 में हड़ताल के कारण इसके अस्तित्व पर संकट के बादल छा गये थे। जानिये उन खास लोगों के बारे में जिन्होंने तब गीत प्रेस की हड़ताल खत्म करवाई।
गोरखपुर: गीता प्रेस को वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार देने हेतु नामित किया गया है। गीता प्रेस को यह पुरस्कार अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाएगा। गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार के लिए नामित करने के मौके पर उससे जुड़ी एक प्रासंगिक घटना को साझा करना आवश्यक है। इस मौके पर वे पल याद आ गये, जब 2015-16 में हड़ताल के कारण गीता प्रेस के अस्तित्व पर संकट के बादल छा गये थे। इस ब्लॉग के जरिये जानिये उन खास लोगों के बारे में जिन्होंने तब गीत प्रेस की हड़ताल खत्म करवाई।
गीता प्रेस के कर्मचारियों और प्रबंधन में तनातनी
अगस्त-सितंबर 2015 की बात है। गीता प्रेस के कर्मचारियों और प्रबंधन में वेतन निर्धारण को लेकर तना-तनी चल रही थी। इस कारण वहां बेमियादी हड़ताल चल रही थी। ऐसा कहा जाता है की वहां के कर्मचारियों को अनावश्यक रूप से हड़ताल करवाई गई थी। उस समय जनपद एवं शासन के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी इस हड़ताल को समाप्त करवा पाने में कोई खास रुचि नहीं ले रहे थे। प्रबंधन भी प्रशासन से गुहार लगा थक चुका था कि येन केन बेमियादी हड़ताल को समाप्त करवाया जा सके लेकिन जनपद एवं शासन में पदस्थ प्रशासनिक अधिकारीगण कुछ विशेष महत्व नहीं ले रहे थे जबकि बिना उनके हस्तक्षेप के उस गतिरोध को समाप्त होना संभव न थाI
सिंघल जी के पास आया वैध साहब का एक चिंताजनक फोन
गीता प्रेस के प्रबंधन के एक दूर के रिश्तेदार वैध साहब जो बंबई में रहते थे, वो मेरे आदरणीय गुरूजी सिंघल साहब के अनन्य मित्र थे और संस्था में असीम श्रद्धा एवं विश्वास रखते थे। वैध साहब का एक चिंताजनक फोन मेरे आदरणीय गुरुजी सिंघल जी के पास आया और उन्होंने वार्ता के क्रम में गीता प्रेस का पूरा वृतांत कह सुनायाl आशंका भी व्यक्त करी की संभवतः गीता प्रेस गोरखपुर में किसी षड्यंत्र के तहत हड़ताल करवाई गई है क्योंकि गीता प्रेस में कार्य करने वाले सभी कर्मचारी जीविकोपार्जन करने के अलावा अत्यंत ही धार्मिक है।
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महाराजगंज में तत्कालीन जिला जज एस के पाण्डेय से मदद की अपेक्षा
गुरुजी के आदेशानुसार और भागवत प्रेरणा से जानकारी करी गई तो गोरखपुर से सटे जनपद एवं शासन महाराजगंज में तब जिला जज एस के पाण्डेय पदासीन थे, जो थोड़े समय पश्चात सन मार्च 2016 में जिला जज महराजगंज से सेवानिवृत्त भी हो गए। तत्कालीन जिला जज पाण्डेय जी अत्यंत ही सरल और धार्मिक व्यक्ति थे और मुझे अत्यंत ही स्नेह और प्रेम करते थे। मुझे पाण्डेय जी के शासन के उच्च पदस्थ अधिकारी गणों से व्यक्तिगत एवं प्रगाढ़ संबंधों का ज्ञान था। अतः मैंने अपने गुरूजी के आदेशानुसार उनको घटनाक्रम से अवगत कराया और उपरोक्त प्रकरण का समाधान ढूँढने के लिए मदद की अपेक्षा कीl
एस के पाण्डेय जी ने कराई हड़ताल खत्म
पाण्डेय जी ने इसे श्रीहरि की निमित्त सेवा और कार्य बताकर यथा संभव मदद एवं प्रयास करने का आश्वासन दिया। आश्चर्यजनक रूप से पाण्डेय जी ने कुछ दिनों में वास्तव में अपने प्रबल प्रयास से गोरखपुर जनपद एवं शासन के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को उक्त हड़ताल को समाप्त करने का समाधान के लिए कैसे राजी करवाया ये पता नही लेकिन सितंबर के द्वितीय सप्ताह में पाण्डेय जी ने एक सुखद सूचना दी की श्रीहरि की कृपा से हड़ताल समाप्त हो गई है और एक दो दिनों में वापस प्रकाशन का कार्य प्रारंभ हो जायेगा।
हड़ताल से गीता प्रेस को 3.90 करोड़ की हानि
यह भी जानकारी हुई की गीता प्रेस प्रबंधन को उक्त एक माह से ज्यादा चली हड़ताल में लगभग 3.90 करोड़ की हानि हुई थी। पाण्डेय जी का हृदय से आभार एवं धन्यवाद है जिन्होंने बहुत ही संजीदगी से गीता प्रेस गोरखपुर को पुनः गौरवशाली एव प्रतिष्ठित बनाने में अतुलनीय योगदान दिया। श्री पाण्डेय जी ने अपनी प्रमुख भूमिका को अत्यंत खामोशी से निभाई और श्रीहरि की प्रेरणा, आशीर्वाद एवं मर्जी कह कर हड़ताल खत्म कराने को कोई श्रेय भी नही लिया।
ऐसे अवसर पर, जब कि गीत प्रेस को वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार देने हेतु नामित किया गया है, इस पावन अवसर पर श्री वैध साहब, श्री पाण्डेय एवं श्री सिंघल को करबद्ध प्रणाम एवं सहृदयी धन्यवाद। इसके साथ ही गीता प्रेस एवं उसके प्रबंधन को लोकहित में विपरीत परिस्तिथियों में भी अपने ऋषि कार्य को जारी रखने के लिए भी बधाई एवं धन्यवादl
(लेखक एस के पाण्डेय यूपी के कई जिलों में जिला जज और प्रमुख सचिव, न्याय विभाग, उत्तर प्रदेश रह चुके हैं)