Tirupati Laddu Row: तिरुपति लड्डू विवाद पर पूर्व राष्ट्रपति का बड़ा बयान

डीएन ब्यूरो

भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को बीएचयू में ‘भारतीय गाय, जैविक कृषि एवं पंचगव्य चिकित्सा’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद


वाराणसी: आंध्र प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर (Tirupati temple) के लड्डू विवाद (Laddu Controversy) को लेकर देशभर में घमासान मचा हुआ है। पूर्व राष्ट्रपति (Former President) रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने बीएचयू में तिरुमला तिरुपति को लेकर बड़ा बयान(Statement) दिया। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म के अनुसार ये बहुत बड़ा पाप है। इसकी ढंग से जांच (Investigation) हो। 

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार वह काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान प्रेक्षागृह में ‘भारतीय गाय, जैविक कृषि एवं पंचगव्य चिकित्सा’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोल रहे थे।

कृषि विज्ञान प्रेक्षागृह में संगोष्ठी में बोलते हुए

इस दौरान उन्होंने कहा कि कल मेरे पास बाबा विश्वनाथ का प्रसाद आया, तब मेरे मन में तिरुपति में प्रसाद की घटना याद आई। मैं बाबा विश्वनाथ से माफी चाहता हूं कि इस बार उनका दर्शन नहीं कर पाया लेकिन अगली बार करूंगा।

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पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि कल रात मेरे कुछ सहयोगी बाबा विश्वनाथ धाम गए थे। रात में मुझे बाबा का प्रसादम दिया तो मेरे मन में तिरुमाला की घटना याद आई और मेरे मन में थोड़ा खटका। मैंने बाबा विश्वनाथ से कान पकड़कर माफी मांगी कि इस बार मैं आपका दर्शन नहीं कर पाया। लेकिन, बाबा विश्वनाथ के प्रसादम में हर किसी का अटूट भरोसा और श्रद्धा है।

हर तीर्थ स्थल में ऐसी घटिया मिलावट हो सकती
उन्होंने कहा कि इसमें कितना क्या है, उस पर जाना नहीं चाहता, लेकिन ये देश के हर मंदिर की कहानी हो सकती है। हर तीर्थ स्थल में ऐसी घटिया मिलावट हो सकती है। हिंदू धर्म के अनुसार ये बहुत बड़ा पाप है। इसकी ढंग से जांच हो।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शताब्दी कृषि विज्ञान प्रेक्षागृह में 21-22 सितंबर को ‘भारतीय गाय, जैविक कृषि एवं पंचगव्य चिकित्सा’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन शनिवार को किया गया।

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पंचगव्य चिकित्सा पद्दति से जनमानस को लाभ
संगोष्ठी का उद्देश्य देसी गाय, गोपालन एवं पंचगव्य चिकित्सा के जरिये जनमानस को होने वाली बीमारियों जैसे कैंसर, मधुमेह, अवसाद, रक्तचाप, एलर्जी आदि के उपचार के साथ जैविक खेती पर चर्चा करना था।

पश्चिमी नस्ल की गायों जैसे जर्सी, होल्स्टीन और फ्राइजियन से प्राप्त दूध से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। भारतीय नस्ल की गायों गंगातीरी, साहीवाल, गिर, लाल सिंधी आदि से प्राप्त दूध ए-2 मिल्क की श्रेणी में आता है।










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