डा. एसके लाट डाइनामाइट न्यूज़ पर LIVE: क्या है एमडीआर-टीबी एवं दमा से बचाव के उपाय

सुभाष रतूड़ी

भारत में एमडीआर-टीबी (मल्टी ड्रग रजिस्टेंस-क्षय रोग) के कारण हर साल बड़ी संख्या में लोग अकाल मौत का शिकार बनते हैं। दमा, एमडीआर-टीबी के कारण और बचाव क्या हैं? इस पर डाइनामाइट न्यूज़ ने देश के प्रख्यात डॉक्टर एस.के. लाट से विशेष बातचीत की।



नई दिल्ली: सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी देश में टीबी (तपेदिक अथवा क्षय रोग) का प्रकोप भयावह रूप लेता जा रहा है। इसी बीमारी का एक और वीभत्स रूप है, जिसे एमडीआर-टीबी (मल्टी ड्रग रजिस्टेंस-क्षय रोग) के नाम से जाना जाता है। एमडीआर-टीबी के कारण भारत में प्रति वर्ष बड़ी संख्या में लोग अकाल मौत का शिकार बन रहे हैं।

देश के मशहूर टी.बी., दमा, पल्मनेरी (फेफड़े संबंधित) एंड क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ. एस.के. लाट का कहना है कि एमडीआर-टीबी एक ऐटम बम की तरह है, जिसका समुचित इलाज कराया जाना बेहद जरूरी है।

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झोलाछाप डॉक्टरों से न करायें इलाज

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डॉ. एसके लाट ने डाइनामाइट न्यूज़ के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा कि एमडीआर-टीबी बहुत घातक है, इसमें सामान्य दवाईयां भी काम नहीं करती है। इसके लिये संपूर्ण इलाज और योग्य डॉक्टर की जरूरत होती है। कई लोग झोलाछाप डॉक्टरों से इसका इलाज कराते है, जिस कारण उन्हें जान से हाथ धोना पड़ता है। इस रोग के इलाज के लिये झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाना जान को जोखिम में ड़ालना है।

कई डॉक्टर इलाज के लिये  ट्रेंड नहीं

डॉ. लाट के मुताबिक कई मामलों में देखने में आया कि एमडीआर-टीबी के इलाज के लिये कई डॉक्टर भी ट्रेंड नहीं है। ऐसे डॉक्टर न तो मरीज का वजन करते हैं, न ही मरीज का कोई डेटा लेते है। मरीज को जाने बगैर ही उसे अनावाश्यक दवाईयां दे देते हैं। इस तरह का इलाज भी काफी खतरनाक और जोखिम भरा होता है। डॉक्टरों को इसमें रोगी का खास ध्यान देना चाहिये और बेहतर इलाज के लिये एक्सपर्ट और सीनियर डॉक्टर से भी कन्संल्ट करना चाहिये, ताकि इस रोग का संपूर्ण निदान हो सके।

मरीजों को जरूरी सलाह

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मरीजों को सलाह देते हुए डॉ. लाट का कहना है कि एमडीआर-टीबी भले ही ऐटम बम की तरह भयावह हो, लेकिन यह लाइलाज बिल्कुल नहीं है। उनका कहना है कि इस बीमारी का इलाज हमेशा सुयोग्य डॉक्टर से ही कराना चाहिये। रोगी को इस बीमारी का पूरा इलाज कराना चाहिये। दवा का पूरा कोर्स करना बहुत जरूरी है। कई मामलों में देखा गया है कि रोगी डॉक्टर द्वारा बताया गया कोर्स पूरा नहीं करता और इलाज बीच में ही छोड़ देता है, जिससे परेशानी बढ़ जाती है, रोगी को हरगिज ऐसा नहीं करना चाहिये।

स्वस्थ शरीर के लिये जागरूक होना जरूरी

वर्तमान समय में मॉडर्न लाइफ स्टाइल और खान-पान के कारण खतरे में पड़ती इंसानी सेहत के बारे में डॉ. लाट का कहना है कि भागदौड़ भरे जीवन में हमें कुछ हद तक अपनी पुरानी सभ्यता की तरफ लौटना होगा। तनाव को खत्म करने के लिये शांति और सुकून जरूरी है। जबकि अच्छी सेहत के लिये जंक फूड का त्याग बेहद आवश्यक है। डॉ. लाट की सलाह है कि बच्चों को प्यार-दुलार जरूर दें, पर उनकी हर जिद पूरी न करें और बच्चों को हरगिज जंक फूड न दें। डॉ. लाट का कहना है कि अच्छे और स्वस्थ शरीर के लिये हर इंसान का जागरूक होना जरूरी है। हमारे शरीर के लिये क्या अच्छा है और क्या बुरा, यह जानना सबके लिये जरूरी है। जब हम इस अच्छे और बुरे को समझ लेते हैं और उसके अनुसार शरीर का ध्यान रखते हैं, तो हमारी कई समस्याएं अपने आप खत्म हो जाती है। 

 










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