मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने की घटना के दो आरोपी गिरफ्तार

डीएन ब्यूरो

मणिपुर के कांगपोकपी जिले में दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने वाली भीड़ का हिस्सा रहे दो लोगों को पुलिस ने बृहस्पतिवार को गिरफ्तार कर लिया।

गिरफ्तार (फाइल)
गिरफ्तार (फाइल)


इंफाल: मणिपुर के कांगपोकपी जिले में दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने वाली भीड़ का हिस्सा रहे दो लोगों को पुलिस ने बृहस्पतिवार को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस ने बताया कि बुधवार को सामने आए 26 सेकंड के वीडियो में गिरफ्तार एक आरोपी को कांगपोकपी जिले के बी. फाइनोम गांव में भीड़ को सक्रिय रूप से निर्देश देते हुए देखा जा सकता है।

वीडियो पर स्वत: संज्ञान लेते हुए पुलिस ने कल रात कहा था कि अज्ञात हथियारबंद बदमाशों के खिलाफ थाउबल जिले के नोंगपोक सेकमाई थाने में अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या का मामला दर्ज किया गया है तथा दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के लिए हरसंभव प्रयास जारी हैं।

भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में रात भर चली छापेमारी के बाद एक आरोपी की पहचान 32 वर्षीय हुईरेम हेरादास सिंह के रूप में हुई जिसे थाउबल जिले से गिरफ्तार कर लिया गया और एक अन्य व्यक्ति भी गिरफ्तार किया गया है।

ऐसा आरोप है कि भीड़ ने दोनों आदिवासी महिलाओं को छोड़ने से पहले उनका यौन उत्पीड़न किया था।

इसी घटनाक्रम में ग्रामीणों ने आरोपी हेरादास सिंह के मकान को आग लगा दी और उसके परिवार को परेशान किया।

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने घटना को ‘‘अमानवीय’’ करार दिया और कहा कि अपराधियों को ‘‘मृत्युदंड’’ मिलना चाहिए।

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घटना की कड़ी निंदा करते हुए मुख्यमंत्री ने इसे मानवता के प्रति अपराध बताया और कहा कि उनकी सरकार इस जघन्य अपराध पर चुप नहीं रहेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वीडियो देखते ही उन्होंने साइबर अपराध विभाग से इसका सत्यापन करने को कहा और अपराधियों को पकड़ने के लिए अधिकारियों को व्यापक स्तर पर तलाशी अभियान चलाने का निर्देश दिया।

सिंह ने आगे कहा कि उनकी सरकार राज्य में शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है और इसके तहत अलग-अलग समुदायों के विभिन्न सिविल सोसाइटी संगठनों, उद्यमियों, धार्मिक नेताओं से बातचीत की जा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम लंबे समय से साथ रहते आए हैं और भविष्य में भी साथ रहेंगे, समुदायों के बीच की गलतफहमी दूर की जा सकती है और बातचीत के जरिए इसे सुलझाया जा सकता है ताकि हम फिर से शांतिपूर्ण तरीके से साथ रह सकें।’’

मेइती समुदाय के प्रभावशली संगठन... कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑन मणिपुर इंटिग्रिटी (सीओसीओएमआई) ने भी एक बयान जारी करके कहा कि वह ‘‘मणिपुर के सुदूर गांव में दिन-दहाड़े दो महिलाओं को निर्वस्त्र परेड कराने की बर्बर और असभ्य हिंसक घटना’’ की कटु आलोचना करते हैं।

बयान में कहा गया कि सीओसीओएमआई आरोपियों को ढूंढ़ निकालने का हर प्रयास कर रहा है, फिर चाहे वे किसी भी कोने में हों।

बयान में कहा गया, ‘‘वीडियो क्लिप को लेकर पूरा मेइती समुदाय शर्मिंदा और गुस्से में है... सीओसीओएमआई इस पर यकीन रखता है कि इस जघन्य घटना में शामिल लोगों को मेइती समुदाय किसी रूप में नहीं बख्शेगा और अपराध में शामिल सभी लोगों को समुचित दंड दिया जाएगा।’’

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मणिपुर में चार मई को हुई इस घटना के प्रत्यक्षदर्शियों में शामिल महिला हाहत वाइफेई ने दावा किया कि बी. फाइनोम गांव के लोगों ने एक दिन पहले भी ऐसी ही घटना को अंजाम देने के प्रयास को विफल किया था।

पड़ोसी राज्य मिजोरम के एक यू-ट्यूब चैनल से वाइफेई ने कहा, ‘‘जब हम गांव छोड़कर जाने लगे तो भीड़ ने हमें पकड़ लिया। वे हमें घसीटकर गांव से बाहर ले गए, जबकि हम मिन्नतें करते रहे।’’

उन्होंने बताया कि भीड़ ने दो महिलाओं को पहले जबरन निर्वस्त्र घुमाया और फिर उनके साथ बलात्कार किया।

राज्य में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर मेइती समुदाय द्वारा पहाड़ी जिलों में तीन मई को आयोजित ‘ट्राइबल सॉलिडारिटी मार्च’ (आदिवासी एकजुटता मार्च) वाले दिन मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क गई थी और अभी तक इसमें 150 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।

मणिपुर में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी समुदाय के आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

 










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