खागा आंदोलन हुआ तेज, व्यापारियों ने बाजार बंद कर जताया विरोध
खागा के 245 राजस्व गांवों को जनपद फतेहपुर से अलग करके कौशाम्बी जिले में शामिल करने के प्रशासन के प्रस्ताव के विरोध में व्यापारियों ने खागा की दुकानों को बंद कर आंदोलन किया।
फतेहपुर: जनपद की खागा तहसील, खागा मु्ख्यालय, नगर पंचायत खागा, नगर पंचायत किशनपुर तथा खागा क्षेत्र के कानूनगो सर्किल धाता, खखरेडू, मंझनपुर, विजयीपुर के साथ खागा के 245 राजस्व गांवों को जनपद फतेहपुर से अलग करके जनपद कौशाम्बी में शामिल करने के प्रशासन के प्रस्ताव के विरोध में व्यापारियों नें खागा की दुकानों को बन्द कर आन्दोलन किया।
डाइनामाइट न्यूज़ से खास बातचीत में संघर्ष समिति के सदस्य प्रकाश पाण्डेय के कहा कि हम लोग खागा का विभाजन किसी भी सूरत में नहीं होंने देंगे। पाण्डेय के कहा कि यह विभाजन व्यापारियों, किसानों और खागा तहसील की जनता के खिलाफ है। आज़ादी की लड़ाई में खागा का बड़ा योगदान रहा है, जिसको नकारा नहीं जा सकता है। आज भाजपा का शासन केंद्र और राज्य में है, जिले में भाजपा के एक केंद्रीय राज्यमंत्री, 6 विधायक जिनमें दो राज्यमंत्री हैं, फिर भी इस विभाजन को रोकने में कोई योगदान नहीं रहे है। जब भाजपा विपक्ष में थी तो इस विभाजन के प्रस्ताव का विरोध करती थी। उन्होंने कहा कि खागा के नागरिकों ने सामाजिक कार्यकर्ताओं नें तथा खागा बचाओ संघर्ष समिति के लोगों नें उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को 19 जून 2017 को ज्ञापन भी दिया था, जिस पर कार्यवाही करते हुये उन्होंने प्रमुख सचिव राजस्व डॉ रजनीश दुबे को इसे अग्रसारित किया था, लेकिन अब तक दो माह हो गये है और इस विभाजन को रोकने का कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
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खागा बचाओ संघर्ष समिति के सदस्यों ने और सपा के नेताओं ने मिलकर खागा उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया। बता दें कि इस विशाल धरने में सपा के कई नेता, समाजसेवी, खागा तहसील के किसान सहित कई गणमान्य लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहें।
खागा विभाजन का मुद्दा क्या है
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बता दें कि फतेहपुर और कौशाम्बी जनपद के पुनर्गठन का मुद्दा सन् 2008 का है। खागा के विभाजन के विरोध में फतेहपुर के लोगों ने इसका बहुत विरोध किया। आंदोलन की उग्रता को देखते हुऐ उस समय के प्रमुख सचिव बलविन्दर कुमार ने 7 जून 2008 को अग्रिम आदेश तक विभाजन की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। सन् 2012 में जब ये मामला फिर संज्ञान में आया तो लोगों ने फिर से इसका विरोध किया। उस समय तत्कालीन सपा सरकार के मंत्री रहे अंबिका चौधरी नें भी खागा विभाजन का विरोध होने पर तत्काल विभाजन पर लोग लगाने के लिए पत्र लिखा। समय-समय पर खागा विभाजन का मुद्दा तूल पकड़ता रहा है जिसका लगातार लोगों ने विरोध किया लेकिन इसका अभी तक कोई निस्तारण नहीं हुआ है।