बढ़ती मंहगाई को लेकर उच्च अनिश्चितता’ बरकरार- उर्जित पटेल

DN Correspondent

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गर्वनर उर्जित पटेल ने महंगाई को लेकर 'उच्च अनिश्चितता' का जिक्र करते हुए मौद्रिक समीक्षा बैठक में दरें जस की तस रखने की सिफारिश की थी।

आरबीआई गर्वनर उर्जित पटेल
आरबीआई गर्वनर उर्जित पटेल


मुंबई: महंगाई को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गर्वनर उर्जित पटेल ने ‘उच्च अनिश्चितता’ का जिक्र करते हुए इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय बैंक के मुख्य ब्याज दरों को लेकर की गई मौद्रिक समीक्षा बैठक में दरें यथावत रखने की बात कही थी। हालांकि एमपीसी (मौद्रिक समीक्षा समिति) की बैठक में ऐसा पहली बार हुआ कि सभी सदस्य एक मत नहीं थे।

यह जानकारी बुधवार को जारी बैठक के मिनट्स से मिली। अपनी दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में सात जून को आरबीआई ने रेपो दरें या अल्पकालिक दरों को 6.25 फीसदी पर जस की तस  रखा था। इससे जुडे हुुए नीतिगत बयान में कहा गया कि एमपीसी ने मुद्रास्फीति के जोखिम को देखते हुए यह  निर्णय किया है।

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रिपोर्टस् के मुताबिक, पटेल ने कहा, “उच्च अनिश्चितता को ध्यान में रखते हुए निकट भविष्य की मुद्रास्फीति की स्थिति को देखते हुए इस स्तर पर समय से पहले नीतिगत कार्रवाई से बचने की आवश्यकता है। इसलिए मैं 6.25 फीसदी के स्तर पर रेपो रेट को जारी रखने और मौद्रिक नीति के तटस्थ रुख को बनाए रखने के लिए वोट दे रहा हूं।”

उन्होंने कहा, “अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति निजी निवेश को पुनर्जीवन देने, बैंकिंग क्षेत्र के स्वास्थ्य को बहाल करने और अवसंरचनागत बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। मौद्रिक नीति केवल तभी प्रभावी भूमिका निभा सकती है, जब ये कारक सही जगह पर हों।”

 ब्याज दरों को यथावत रखने से असहमति जतानेवाले समिति के एकमात्र बाहरी सदस्य और आईआईएम-अहमदाबाद के फैकल्टी रवींद्र ढोलकिया ने रेपो दर में न्यूनतम 50 आधार अंकों की कटौती के लिए वोट किया था।

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रिपोर्टस् के अनुसार, ढोलकिया ने कहा, “मेरी राय में एमपीसी के लिए यह सबसे उपयुक्त समय है कि नीतिगत दर में 50 आधार अंकों की कटौती की जाए, जिससे प्रमुख ब्याज दर 6.25 फीसदी से घटकर 5.75 फीसदी तक आ जाएगी।”
 










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