AMU में वो कौन कश्मीरी छात्र थे जिन्होंने आतंकी वानी का किया सपोर्ट
सुरक्षा बलों के हाथों मारे गये आतंकी वानी को लेकर AMU में जनाजे की नमाज पढ़ने और अब 12 सौ कश्मीरी छात्रों विश्वविद्यालय छोड़कर जाने की धमकी के बाद अब एसआईटी और एएमयू प्रशासन ऐसे छात्रों की पहचान कर रहा है जो कि बाहरी थे। कौन है ये बाहरी छात्र और कैसे घुसे एएमयू में, पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट
अलीगढ़ः सुरक्षाबलों द्वारा जम्मू-कश्मीर में कुपवाड़ा के हंदवाड़ा में मन्नान वानी समेत तीन आतंकियों के मारे जाने के बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के केनेडी हाल में लगभग 15 छात्र इकट्ठे हुए थे। इन सभी ने वानी के मारे जाने पर खेद प्रकट किया था और यहां नमाज पढ़ी थी। तब से इस मामले ने तूल पकड़ा है।
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खिर क्या हो रहा है एएमयू में, क्यों यहां फैला हुआ है तनाव
1. आतंकी मन्नान वाली जो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का पूर्व छात्र और स्कॉलर रह चुका था वह हिज्बुल का स्थानीय कमांडर था। जिसे सुरक्षाबलों ने मार गिराया, इस पर यहां कुछ कश्मीरी छात्रों में रोष देखा गया।
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2.वानी की मौत के बाद एएमयू में शोक सभा आयोजित करने और जनाजे की नमाज पढ़ने के साथ देश विरोधी नारे लगाने वाले और कोई नहीं बल्कि कश्मीरी छात्र थे। जिससे यहां पर तनाव व्यापत हुआ है।
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3. पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने एएमयू प्रशासन के साथ घटना स्थल कैनेडी हॉल से सीसीटीवी कैमरों की फुटेज जुटाई है। पुलिस इस संबंध में कई लोगों से पूछताछ भी कर रही है।
4. नमाज पढ़ने के मामले में कहा जा रहा है कि ऐसे युवकों के खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज हो सकता है। वहीं दो छात्रों को यहां से निलंबित भी कर दिया गया है और 7 छात्रों के खिलाफ नोटिस भेजा जा चुका है।
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5. मामले में यह भी सामने आ रहा है कि नमाज पढ़ने और देशद्रोही नारे लगाने वाले छात्रों में कुछ बाहरी युवक भी थे। इस संबंध में पूर्व छात्र संघ उपाध्यक्ष ने आरोप भी लगाया है। ऐसे छात्रों के खिलाफ भी नोटिस जारी किये गये है।
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क्या कहते हैं एएमयू के रजिस्ट्रार अब्दुल हामिद
इस विवाद के बाद कई कश्मीरी छात्रों के 17 अक्टबूर को सर सैय्यद डे वाले दिन एएमयू छोड़ने और अपनी डिग्री को वापस करने को लेकर एएमयू के रजिस्ट्रार अब्दुल हामिद ने कहा है कि कैंपस में किसी भी तरह की गलत गतिविधि नहीं होने दी जायेगी। मामले में पुलिस की पुख्ता रिपोर्ट के बाद ही स्थिति साफ होगी। हम विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले किसी भी कश्मीरी छात्र के साथ अन्याय नहीं होने देंगे।