कानपुर: 'आजादी की पहली चिंगारी' में वीर-शहीदों के दुर्लभ अभिलेख
कानपुर के डीएवी कॉलेज में 'आजादी की पहली चिंगारी' प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इसमें 1857 की क्रांति से जुड़े कई दुर्लभ अभिलेख आम जनता के लिये लगाये गये हैं।
कानपुर: पंडित दीनदयाल उपाध्याय जनशताब्दी वर्ष के मौके पर 'आजादी की पहली चिंगारी' नामक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। डीएवी डिग्री कॉलेज में आयोजित तीन दिवसीय प्रदर्शनी में दुर्लभ अभिलेख लगाये गये हैं।
1857 की क्रांति में उत्तर प्रदेश के योगदान से संबंधित अभिलेखों को प्रदर्शनी में शामिल किया गया है। इसके अलावा क्रांति की महत्वपूर्ण घटनाओं का विवरण झांसी, लखनऊ, कानपुर, जालौन और फर्रुखाबाद जिलों का प्रदर्शनी में खास उल्लेख है।
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डीएवी कॉलेज के ऑडिटोरियम में 1857 की क्रांति के ऐतिहासिक अभिलेख शामिल किये गये हैं। प्रदर्शनी के इंचार्ज संतोष यादव ने बताया कि प्रदर्शनी का उद्देश्य है कि लोगों को 1857 की क्रांति के इतिहास के बारे में पता चले।
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प्रदर्शनी में शामिल दुर्लभ अभिलेख
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- प्रदर्शनी में लक्ष्मीबाई के बनारस स्थित जब्त किए गए भवनों की सूची के मूल रूप वाले अभिलेख
- लक्ष्मीबाई और नानासाहब की जब्त की गई नई संपत्ति का अनुमानित मूल्य के मूल अभिलेख
- 19 फरवरी 1858 लक्ष्मीबाई के द्वारा बुंदेली भाषा में लिखा पहला पत्र
- उस समय की लक्ष्मीबाई की मोहर का मूल प्रमाण
- अंग्रजों द्वारा झांसी की सुरक्षा हेतु तैयार किया गया मानचित्र
- ग्वालियर से जनरल आर हैमिल्टन ने गवर्नर जनरल लार्ड केनिंग और अन्य पदाधिकारियों को 18 जून 1858 को लिखा गया तार, जिसमें रानी लक्ष्मीबाई की वीरगति को प्राप्त होने की सूचना थी
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- तात्याटोपे और अंग्रजों के बीच गतिविधियों के अभिलेख
- तात्या टोपे की गिरफ्तारी के वारेंट के अभिलेख
- नाना साहब की गिरफ्तारी के लिये रुपये 1 लाख के पुरस्कार की घोषणा वाला इश्तेहार का अभिलेख
कानपुर का विशेष इतिहास शामिल
1857 की क्रांति में 'कानपुर में क्रांति का विस्फोट' का अलग ही इतिहास है। कानपुर के बिठूर के पास 20 अंग्रेजों को कैद कर मार दिया गया था, उससे संबंधित अभिलेख भी शामिल किया गया है। 1857 में लखनऊ के रेजीडेंसी में घिरे अंग्रेजों के दस्तावेज मौजूद हैं।