वाराणसी: अब आपके नवजात बच्चों की नही होगी मौत.. बीएचयू का सफल हुआ रिसर्च
देश ही नही दुनिया में शिशुओं को बचाने कि दिशा में बीएचयू की पहल लाई रंग। आणविक एवं मानव आनुवंशिकी विभाग में की प्रोफेसर का सोध हुआ चमत्कारी। डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..
वाराणसी: वैज्ञानिक दुनिया में जिस तेजी से विकास हो रहा है उसी तेजी से रोगों की भरमार भी हो रही है। लेकिन प्रायः हर रोग की दवा का भी उतनी तेजी से आविष्कार किया जा रहा है। इसी तरह काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने कम वजन के नवजातों की असमय से पहले हो जाने वाली मौत को लेकर दवा का इजाद कर लिया है। आणविक एवं मानव आनुवंशिकी विभाग में कार्यरत प्रो गीता राय 12 वर्षो के अथक प्रयासों से इस दवा को बनाने में सफलता पाई है।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के आणविक एवं मानव आनुवांशिकी विभाग की प्रो गीता रॉय ने डाइनामाइट न्यूज़ से बात करते हुए बताया कि राय 12 वर्षों के अथक प्रयासों से इस दवा को बनाने में सफलता पाई है। उन्होंने बताया कि भारत मे प्रतिवर्ष करीब 12 लाख कम उम्र के नवजातों की सप्ताह के पहले हप्ते में मृत्यु हो जाती है, जो पूरे विश्व का 40 प्रतिशत है।
यह भी पढ़ें |
वाराणसी: बीएचयू की साख फिर धूमिल, कैंपस में छात्र पर चाकू से हमला कर 15 हजार लूटे
यह भी पढ़ें: वाराणसी में पुलिस मुठभेड़ में इनामी कुख्यात बदमाश गिरफ्तार
उन्होंने बताया जो दवा बनाई गई है यह दवा कम वजन के जन्मे बच्चों के लिए वरदान है और इससे उनमे रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होगा जिससे वह गंभीर बीमारियों जो कम वजन के कारण मौत हो जाती है वह उससे बचे रहेंगे।
यह भी पढ़ें: देखें वाराणसी के संकटमोचन मंदिर को बम से उड़ाने की धमकी पर क्या बोले एसएसपी
यह भी पढ़ें |
वाराणसी: छेड़छाड़ के विरोध में बीएचयू में छात्राओं का प्रदर्शन
उन्होंने कहा कि इस दवा से हम कम वजन के बच्चों के मृत्यु दर में काफी कमी कर पाएंगे। यह दवा भारत सहित विश्व के अन्य देशों के लिए भी वरदान होगी। विश्वविद्यालय ने ट्वीट के माध्यम से इस शोध को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को अवगत करा दिया है। ताकि जल्द से जल्द यह दवा प्रयोग में लाई जा सके और हर वर्ष होने वाली बच्चो के मृत्यु दर को कम किया जा सके।