क्या आप जानते हैं.. स्वतंत्रता दिवस के लिये 15 अगस्त को ही क्यों चुना गया?
देश बुधवार को अपनी आजादी के 71 साल पूरे कर रहा है। इसके साथ ही पूरे देश में जहां स्वतंत्रता दिवस को लेकर उत्साह है, वहीं आज हम आप स्वतंत्रता दिवस से जुड़ी एक दिलचस्प बात बताने वाले हैं। डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव खबर..
नई दिल्ली: बुधवार को भारत अपनी स्वतंत्रता के 71 साल पूरे कर रहा है। देश में हमेशा से ही स्वतंत्रता दिवस को लेकर अलग ही उत्साह देखा जाता है, लेकिन क्या आप जानते है भारत की स्वतंत्रता दिवस के लिए लॉर्ड माउंटबेटेन ने 15 अगस्त का दिन ही क्यों चुना गया था? अगर आप नहीं जानते हैं तो हम आप को बताएंगे, किस वजह से लॉर्ड माउंटबेटेन ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की तारीख के रूप में चुना था?
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31 दिसम्बर 1929 को कांग्रेस के तत्कालीन जवाहरलाल नेहरू लाहौर में पूर्ण स्वराज की घोषणा कर दी थी। इस दौरान आधिकारिक झंडा फहराया गया था। इस दौरान जवाहरलाल नेहरू ने भारत की जनता से 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने की अपील की। 'पूर्ण स्वराज' की घोषणा के बाद 1930 से 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा था और यह सिलसिला आजादी मिलने तक चलता रहा।
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आज़ादी से पहले ही भारत और पाकिस्तान में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी। जिस वजह से दोनों जगह पर हिंसा ने विकराल रुप ले लिया था। जिसके बाद सी गोपालाचारी ने दर्खास्त करते हुए कहा था कि अगर हम जून 1948 तक का इंतजार करेंगे तो सत्ता हस्तांतरित करने के लिए कुछ भी नहीं बचेगा। जिसके बाद लॉर्ड माउंटबेटेन ने तय तारीख से पहले अगस्त 1947 में ही सत्ता सौंपने का फैसला किया और कहा कि इससे दंगे और हत्याएं रुक जाएगी।
भारत में बिगड़ते हुए हालात को देख कर ब्रिटिश संसद में भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 4 जुलाई 1947 को पेश किया गया। इस अधिनियम को 15 दिनों के अंदर पारित कर दिया था । इस अधिनियम में लिखा गया था भारत में 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से मुक्त हो जाएगा। इसके अलावा इस अधिनियम में भारत और पाकिस्तान दो स्वतंत्र देश बनाना तय किया गया था।
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वहीं जब माउंटबेटेन से 15 अगस्त की तारीख के चुनाव को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं ये तारीख गलती से बोल दी थी। मुझे भारत की आज़ादी के लिए अगस्त और सितंबर में से एक को चुनना था। इस दौरान मैंने 15 अगस्त का चुनाव इस वजह से किया था क्योंकि यह जापान के समर्पण की दूसरी वर्षगांठ थी।