मथुरा-वृंदावन में यमुना प्रदूषण मामला : एनजीटी ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी

डीएन ब्यूरो

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मथुरा-वृंदावन में यमुना में अनुपचारित सीवेज छोड़े जाने के मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को छह सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

मथुरा-वृंदावन में यमुना प्रदूषण मामला
मथुरा-वृंदावन में यमुना प्रदूषण मामला


नयी दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मथुरा-वृंदावन में यमुना में अनुपचारित सीवेज छोड़े जाने के मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को छह सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक एनजीटी उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दावा किया गया है कि मथुरा-वृंदावन में 36 नाले हैं, जिनमें से छह का अनुपचारित सीवेज यमुना में छोड़ा जा रहा है। याचिका में कहा गया है कि इससे नदी के पानी की गुणवत्ता खराब हो रही है।

न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि अधिकरण ने 11 अप्रैल के एक आदेश में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को क्षेत्र के उन छह नालों का पानी जल-मल शोधन संयंत्र (एसटीपी) में भेजे जाने समेत आवश्यक उपचारात्मक कदम उठाने का निर्देश दिया था।

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पीठ ने कहा कि साथ ही चार महीने के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया था।

पीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने 10 अगस्त को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसके अनुसार मथुरा-वृंदावन के नगर आयुक्त पर 3.25 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना (ईसी) लगाया गया था।

अधिकरण ने कहा कि मुख्य सचिव की ओर से कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई और इसके कुछ अन्य निर्देशों का भी पूरी तरह से पालन नहीं किया गया।

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पीठ ने मुख्य सचिव को छह सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

मामले की अगली सुनवाई 30 नवंबर को होगी।

 










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