यूपी में क्या अब जिला पंचायत अध्यक्षों को भी जनता सीधे चुनेगी?
राज्य निर्वाचन आयोग ने जिला पंचायत अध्यक्ष व क्षेत्र पंचायत प्रमुख के चुनाव सीधे जनता से कराने का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव से ऐसा लगाता है जैसे कि प्रदेश सरकार ने क्षेत्रीय चुनावों को भी जनता के द्वार ले जाने का फैसला कर लिया है। वहीं राजनीतिक हलकों में इस फैसले को भी एक राजनीतिक दांव के रूप में देखा जा रहा है। विस्तार से पढ़ें डाइनामाइट न्यूज की विशेष खबर..
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार हर रोज नए-नए राजनीतिक दांव चल रही है। अब राज्य निर्वाचन आयोग ने जिला पंचायत अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत प्रमुख के चुनाव सीधे जनता से कराने का प्रस्ताव सामने आया है। ऐसे में अब लगता है प्रदेश की सरकार ने जिला पंचायत अध्यक्ष व क्षेत्र पंचायत प्रमुख के चुनावों को भी जनता के दरवाजे ले जाने का मन बना चुकी है।
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प्रस्ताव के साथ में पिछले कई वर्षों के नगर निगम महापौर व नगर पालिका परिषद अध्यक्ष के मुकाबले जिला पंचायत अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत प्रमुख के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्तावों का आंकड़ा दिया है।
राज्य निर्वाचन आयोग के अपर निर्वाचन आयुक्त वेद प्रकाश वर्मा ने बताया है कि नगर निगम महापौर और नगर पालिका परिषद अध्यक्ष जनता से चुनाव जीत कर आते हैं। उनके खिलाफ एक भी अविश्वास प्रस्ताव नहीं आता है। जबकि जिला पंचायत अध्यक्ष व क्षेत्र पंचायत प्रमुख लगातार अविश्वास प्रस्तावों के दबावों में ही पूरा समय गुजार देते हैं। इस वजह से अन्य कार्य प्रभावित होते हैं।
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गौरतलब है कि जिला पंचायत अध्यक्ष व क्षेत्र पंचायत प्रमुख के खिलाफ पहले दो साल में एक बार अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया थी। लेकिन मायावती के शासनकाल में एक साल में ही अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने का प्रावधान कर दिया गया।