केंद्र सरकार ने देश के इन तीन राज्यों में AFSPA को छह महीने के लिए बढ़ाया, जानिए क्यों
गृह मंत्रालय ने एक बड़ा फैसला लिया है। कुछ राज्यों में AFSPA को छह महीने के लिए बढ़ाया गया। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज की खास रिपोर्ट

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (AFSPA) को अगले छह महीने तक बढ़ाने का फैसला लिया है।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता अनुसार गृह मंत्रालय ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है। जिसमें कहा गया है कि क्षेत्रों की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया गया। यह कानून अब 1 अप्रैल 2025 से 30 सितंबर 2025 तक प्रभावी रहेगा।
मणिपुर में AFSPA क्यों बढ़ाया गया?
मणिपुर में पिछले एक साल से जातीय हिंसा जारी है। जिसकी वजह से कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहद संवेदनशील बनी हुई है। गृह मंत्रालय के अनुसार, राज्य के 13 पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र को छोड़कर बाकी पूरे मणिपुर में AFSPA लागू रहेगा। हिंसा प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों की तैनाती और ऑपरेशन को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए यह फैसला लिया गया है।
नगालैंड के किन जिलों में लागू होगा AFSPA?
नगालैंड में निम्नलिखित जिलों और कुछ पुलिस थाना क्षेत्रों को अशांत क्षेत्र घोषित कर AFSPA लागू किया गया है।
वो जिले जहां पूरी तरह हुआ लागू: दीमापुर, निउलैंड, चुमौकेदिमा, मोन, किफिरे, नोकलाक, फेक और पेरेन।
आंशिक रूप से लागू: कोहिमा, मोकोकचुंग, लोंगलेंग, वोखा और जुनहेबोटो के कुछ पुलिस थानों के अधिकार क्षेत्र।
यह भी पढ़ें |
Post Office: आज से 251 साल पहले शुरू हुआ भारतीय डाक, देश की कई घटनाओं में निभाई अहम भूमिका
अरुणाचल प्रदेश में AFSPA का दायरा
अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों में AFSPA अगले छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा तीन पुलिस थानों के अधिकार क्षेत्र को भी इस कानून के दायरे में रखा गया है।
क्या है AFSPA और क्यों विवादित है?
AFSPA 1958 में पूर्वोत्तर राज्यों में लागू किया गया था, ताकि सशस्त्र बलों को अशांत क्षेत्रों में विशेष अधिकार मिल सकें। इसके तहत सुरक्षाबलों को बिना वारंट गिरफ्तारी करने का अधिकार होता है। किसी भी स्थान पर तलाशी अभियान चला सकते हैं। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए बल प्रयोग कर सकते हैं। हालांकि, इस कानून का विरोध भी होता रहा है। इसे मानवाधिकारों के उल्लंघन से जोड़कर देखा जाता है। कई संगठनों और राजनीतिक दलों ने इसे पूरी तरह हटाने की मांग की है।
मणिपुर में जातीय हिंसा की स्थिति
मणिपुर में मई 2023 से लगातार हिंसा जारी है। इस जातीय संघर्ष में 250 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जबकि हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। यह हिंसा मुख्य रूप से मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच हो रही है। इम्फाल घाटी और पहाड़ी इलाकों में झड़पें जारी हैं। जिरिबाम जिला, जो पहले हिंसा से अछूता था, वहां भी जून 2023 में एक किसान की हत्या के बाद तनाव फैल गया।
यह भी पढ़ें |
Earthquake: इन तीन तरंगों के 'खेल' से कांपती है धरती, जानिए बार-बार क्यों आते है भूकंप
AFSPA क्यों लागू किया जाता है?
AFSPA केवल उन क्षेत्रों में लागू किया जाता है, जिन्हें केंद्र सरकार “अशांत क्षेत्र” घोषित करती है। इसका मुख्य उद्देश्य सुरक्षा बलों को आतंकवाद, उग्रवाद और हिंसा से निपटने के लिए अतिरिक्त अधिकार देना है।
क्या सरकार AFSPA हटाने पर विचार कर रही है?
केंद्र सरकार का कहना है कि जैसे ही सुरक्षा की स्थिति में सुधार होगा। AFSPA को हटाने पर विचार किया जाएगा। हाल के वर्षों में असम, मणिपुर और नगालैंड के कुछ हिस्सों से AFSPA हटाया भी गया है।