Love Jihad: लव जिहाद अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर हाई कोर्ट ने योगी सरकार से मांगा जबाव

डीएन ब्यूरो

यूपी की योगी सरकार द्वारा हाल ही में लाये गये उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 को चुनौती देने वाली याचिका पर हाई कोर्ट ने यूपी सरकार से 4 जनवरी तक जबाव मांगा है। डाइनामाइट न्यूज की रिपोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
इलाहाबाद हाईकोर्ट (फाइल फोटो)


प्रयागराज: योगी सरकार द्वारा हाल ही में लाये गये उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 को चुनौती देने वाली याचिका पर हाई कोर्ट ने यूपी सरकार से 4 जनवरी तक जबाव मांगा है। हाई कोर्ट द्वारा इस मामले पर अगली सुनवाई 7 जनवरी को की जायेगा। यूपी सरकार द्वारा बीते नवंबर के अंतिम सप्ताह में कथित ' लव जिहाद ' के नाम पर धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए यह अध्यादेश पारित किया गया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने धर्म परिवर्तन को चुनौती देने वाली इस याचिका पर यूपी सरकार से 4 जनवरी तक जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है और मामले की सुनवाई 7 जनवरी 2020 को तय की है। याचिकाकर्ताओं को 6 जनवरी तक रिजॉइंडर हलफनामा दायर करने की छूट दी जाती है।

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने किसी के अपना नाम बदलने को अभिव्यक्ति की आजादी का हिस्सा माना है। कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति को उसके नाम बदलने से रोका नहीं जा सकता है। हालांकि पीठ ने स्थगन आदेश के रूप में कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया।

उच्च न्यायालय  ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति को उसके नाम बदलने से रोका नहीं जा सकता है। हाईकोर्ट ने कहा है कि नाम बदलना अभिव्यक्ति की आजादी का हिस्सा है। जिसकी संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) में गारंटी दी गई है। अभिव्यक्ति की आजादी के तहत किसी व्यक्ति को उसका नाम बदलने से नहीं रोका जा सकता है। मामले पर अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी।
 

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