Uttar Pradesh: गोरखपुर में Bharat Bandh का दिखा ये बड़ा असर
उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में आज बुलाये गये भारत बंद का कई तरह का असर देखने को मिल रहा है। गोरखपुर में भी भारत बंद का असर देखा गया। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
गोरखपुर: आरक्षण (Reservation) में क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के खिलाफ देशभर के संगठनों ने आज भारत बंद (Bharat-Bandh) का आह्वान किया है। उत्तर प्रदेश में भी बंद का असर देखने को मिल रहा है।
सीएम योगी के गृह जनपद गोरखपुर (Gorakhpur) में बंद को लेकर विशाल जुलूस शांतिपूर्वक (Peaceful Protest) निकाला गया और तमाम दुकानदारों से स्वेच्छा से अपनी-अपनी दुकानें बंद करने का आह्वान भी किया गया। कुछ दुकानदारों ने भारत बंद को देख अपनी दुकानों के शटर नहीं खोले ।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार जुलूस में शामिल लोगों और अधिवक्ताओं ने कोलकाता कांड (Kolkata Rape and Murder) की पीड़िता को अपनी संवेदना व्यक्त की और जल्द ही दोषियों को फांसी दिए जाने की मांग की।
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कुछ जगहों पर व्यापक असर
जानकारी के अनुसार भारत बंद का देशभर में आज सुबह से ही कुछ जगहों पर व्यापक असर दिखाई दे रहा है। बिहार, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों और शहरों में दलित और आदिवासी संगठनों से जुड़े लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। कई जिलों में स्कूलों में छुट्टी का ऐलान कर दिया है।
बसपा, भीम आर्मी और राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी उतरी समर्थन में
उत्तर प्रदेश में भी असर पड़ना तय माना जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के बाद भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के सांसद चंद्रशेखर आजाद भी इसके समर्थन में उतर आए हैं। इनके अलावा स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी ऐलान किया है कि उनकी राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी भी इस भारत बंद का समर्थन करती है। उन्होंने अपने सारे कार्यकर्ताओं से भारत बंद के कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील की है।
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क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा था, ''सभी एससी और एसटी जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं। कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए - सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले।
एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण
ये दोनों जातियां एससी में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक पिछड़े रहते हैं। इन लोगों के उत्थान के लिए राज्य सरकारें एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती है। ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है।