Bharat Bandh: जानिये दलित व आदिवासियों की आपत्ति और अदालत का फैसला
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से जुड़े आरक्षण में क्रीमीलेयर पर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आज देश भर के कई संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया है। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में जानिये आखिर क्या है पूरा मामला और भारत बंद का क्या है असर
नई दिल्ली:अनुसूचित जाति (Scheduled Caste) और अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes) से जुड़े आरक्षण (Reservation) में क्रीमीलेयर (Creamy Layer) पर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आज देश भर के कई संगठनों ने भारत बंद (Bharat Bandh) का आह्वान किया है। देश के कुछ राजनीतिक दलों (Political Parties) ने भी आज के भारत बंद को अपना समर्थन दिया है।
दलित और आदिवासी संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ (NACDAOR) द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए न्याय और समानता सहित आरक्षण संबंधी अपनी मांगों को लेकर एक घोषणा पत्र भी जारी किया गया है। परिसंघ द्वारा सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और इसे वापस लेने की भी मांग की गई है।
भारत बंद का व्यापक असर
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार भारत बंद का देश भर में आज सुबह से ही कुछ जगहों पर व्यापक असर दिखाई दे रहा है।
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बिहार, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों और शहरों में दलित और आदिवासी संगठनों से जुड़े लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने रोकी ट्रेनें
बिहार के दरभंगा, मधुबनी समेत कुछ स्टेशनों पर प्रदर्शनकारियों द्वारा ट्रेनें रोकी गई, जिससे कुछ समय के लिये ट्रेनों का संचालन प्रभावित हो गया। मध्य प्रदेश के भोपाल और ग्वालियर में भारत बंद को लेकर पुलिस द्वारा पुख्ता इंतजाम किये गए हैं।
सड़कें सुनसान और बाजार बंद
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राजस्थान में भी भारत बंद का बड़ा असर देखा जा रहा है। यहां सड़कें सुनसान और बाजार बंद पड़े हैं। राजधानी जयपुर समेत राजस्थान के 13 जनपदों में स्कूल, कॉलेज और कोचिंग बंद है। भरतपुर और दौसा में इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है।
कोटा के भीतर कोटा
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए कोटा के भीतर कोटा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में बुधवार को भारत बंद बुलाया है। दलित और आदिवासी संगठनों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उनके संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया है। इन संगठनों की मांग है कि देश की शीर्ष अदालत अपने इस फैसले को रद्द करे।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार दलित और आदिवासी संगठनों के आज के बंद के दैरान आवाश्यक वस्तुओं की आपूर्ति, आपातकालीन सेवाएं और सरकारी कार्यालयों में कामकाज नियमित रूप से जारी है।